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महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की प्रतिमा बनाने वाला मूर्तिकार गिरफ्तार:10 दिन से फरार था; उद्धव गुट बोला- वह अंडरवर्ल्ड डॉन नहीं, इतने दिन क्यों लगे

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महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा गिरने के मामले में कल्याण पुलिस ने मूर्तिकार-ठेकेदार जयदीप आप्टे को बुधवार (4 सितंबर) देर रात गिरफ्तार कर लिया है।26 अगस्त को मूर्ति गिरने के बाद से आप्टे फरार था। उसे ठाणे से सिंधुदुर्ग ले जाया गया है, जहां उसे अदालत में पेश किया जाएगा।

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उसकी खोज के लिए पुलिस की 7 टीमें बनाई गई थीं। मुंबई, सिंधुदुर्ग, ठाणे, कोल्हापुर में उसकी तलाश की गई, लेकिन वह कल्याण में छिपा था। पुलिस ने मंगलवार (3 सितंबर) को आप्टे के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) भी जारी किया गया था।

आप्टे 2 फीट की मूर्तियां बनाता था, शिवाजी की 35 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई

मालवण पुलिस ने आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट-ठेकेदार चेतन पाटिल के खिलाफ 26 अगस्त को मामला दर्ज किया था। 24 साल के जयदीप आप्टे ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पहले कभी भी इतनी बड़ी मूर्ति नहीं बनाई थी। वह 2 फीट तक ऊंची प्रतिमाएं ही बनाता था।

कोल्हापुर क्राइम ब्रांच और मालवण पुलिस ने पाटिल को 30 अगस्त को गिरफ्तार किया था। हालांकि, उसने दावा किया था कि प्रतिमा निर्माण से उसका लेना-देना नहीं हैं। उसने मूर्ति के लिए केवल प्लेटफॉर्म का डिजाइन तैयार किया था।

उद्धव गुट बोला- आप्टे अंडरवर्ल्ड डॉन नहीं, गिरफ्तारी में देर क्यों लगी
शिवसेना (UBT) ने आरोप लगाया कि 24 साल का आप्टे CM शिंदे के बेटे का दोस्त है। उसकी गिरफ्तारी के बाद भाजपा नेता प्रवीण दारेकर ने कहा- विपक्ष को अब मुंह बंद कर लेना चाहिए। पुलिस ने समय जरूर लगाया, लेकिन काम कर दिखाया।

इसका जवाब में शिवसेना (UBT) नेता सुषमा अंधारे ने कहा- गिरफ्तारी का क्रेडिट सरकार को नहीं लेना चाहिए। वह कोई अंडरवर्ल्ड डॉन नहीं था। इतने दिन क्यों लगे? उसकी गिरफ्तारी पहले ही हो जानी थी।

कांग्रेस बोली- 236 करोड़ का प्रोजेक्ट, सिर्फ 1.5 करोड़ खर्च किए
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को आरोप लगाया कि शिवाजी की मूर्ति के निर्माण पर मात्र 1.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि इस काम के लिए राज्य के खजाने से 236 करोड़ रुपए लिए गए। बाकी बचे 234 करोड़ कहां गए। शिवाजी महाराज की मूर्ति निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी जांच होनी चाहिए।

कला निदेशालय के डायरेक्टर बोले- मिट्‌टी का मॉडल दिखाकर परमिशन ली
महाराष्ट्र कला निदेशालय के डायरेक्टर राजीव मिश्रा का कहना है कि उन्होंने केवल 6 फीट की मूर्ति लगाने की परमिशन दी थी। इसके लिए मूर्तिकार ने मिट्टी का मॉडल दिखाया था।

मंजूरी मिलने के बाद नौसेना ने निदेशालय को यह नहीं बताया कि मूर्ति 35 फीट ऊंची होगी। न ही यह बताया गया कि इसमें स्टील की प्लेट का इस्तेमाल किया जाएगा।

स्टेट PWD ने नौसेना को 2.44 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे। नौसेना ने मूर्तिकार और सलाहकार नियुक्त किए और डिजाइन फाइनल होने के बाद इसे निदेशालय को मंजूरी के लिए भेजा गया। बाद में ऊंचाई बढ़ा ली होगी।

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