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दुर्लभ हॉर्नबिल पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार उदंती अभयारण्य:4 ट्रैकर्स दिनचर्या और व्यवहार पर रख रहे नजर, इस पक्षी की प्रेम कहानी है मशहूर

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Acn18.com/गरियाबंद जिले के देवभोग स्थित उदंती सीतानदी अभयारण्य इन दिनों दुर्लभ हॉर्नबिल पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार है। यहां ऊंची पहाड़ी वाले इलाके कूल्हाड़ीघाट, आमामोरा और ओढ़ में हॉर्नबिल खूब देखे जा रहे हैं। 4 ट्रैकरों की निगरानी में मौजूद पक्षी को पर्यटक भी देख सकते हैं।

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हॉर्नबिल पक्षी आमतौर पर एक ही साथी के साथ रहते हैं। जब मादा बच्चों को जन्म देती है, तब इन बच्चों को पालने के लिए वो 3 महीने तक घोंसले में ही खुद को कैद कर लेती है। नर हॉर्नबिल चोंच से खाना खिलाता है। अगर किसी वजह से नर वापस घोंसले में न लौटे, तो मादा बच्चों के साथ ही घोंसले में मर जाती है।

जिस तरह से इंसान खुद के लिए घर ढूंढते हैं, उसी तरह से हॉर्नबिल पक्षी भी अपने लिए आशियाना तलाशते हैं। वे पेड़ की डालियों को खोदकर अपना घोंसला बनाते हैं। मादा हॉर्नबिल बच्चों को पालने के लिए करीब 3 महीने के लिए खुद को घोंसले में कैद कर लेती है। घोंसले के मुहाने को मिट्टी की दीवार से बंद कर लेती है। इस दौरान सिर्फ एक छेद खुला रहता है, ताकि घोंसले में सांस लेने के लिए हवा आ सके और नर हॉर्नबिल चोंच द्वारा खाना दे सके। जनवरी से अप्रैल माह तक इनका प्रजनन काल होता है।

उदंती सीतानदी अभयारण्य के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि हॉर्नबिल का स्थानीय नाम धनेश और वैज्ञानिक नाम बूसेरोस बिकोर्निस है। इसका पूरा नाम मालाबार पिएड हॉर्नबिल है। यह एशिया, अफ्रीका, मलेशिया के अलावा भारत के पश्चिमी घाट यानी महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु में पाया जाता है। इसकी मौजूदगी छत्तीसगढ़ के बस्तर में कुछ मात्रा में है, पर इस अभयारण्य में कुल्हाडीघाट, अमामोरा, ओढ़ की पहाड़ी पर हजारों की संख्या में मौजूद है।

अभयारण्य के इस इलाके की जलवायु व जैव विविधता पश्चिमी घाटियों जैसी है, इसी खासियत की वजह से इनकी उपस्थिति ज्यादा है। वरुण जैन ने बताया कि अभयारण्य में उड़न गिलहरी, बड़ी गिलहरी भी पाई जाती है। पाए जाने वाले पक्षियों की सामान्य जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने एक फील्ड गाइड किताब द बर्ड्स के नाम से जल्द प्रकाशित किया जा रहा है। इस किताब के कवर पेज पर हॉर्नबिल की तस्वीर को स्थान दिया गया है।

3 माह तक नर पक्षी करता है सेवा

ओढ़ व आमामोरा इलाके में 4 ट्रैकरों की नियुक्ति अभयारण्य प्रशासन ने की हुई है, जो इनकी दिनचर्या और व्यवहार पर नजर बनाए हुए हैं। ट्रैकरों ने बताया कि मादा घोंसले में एक या दो अंडे देती है। करीब 38 दिन बाद अंडे से चूजे निकलते हैं। बच्चे को उड़ने लायक बनने में 3 माह का समय लग जाता है, तब तक नर घोंसले में भोजन पहुंचाता है। पक्षी के इसी प्रेम कहानी के चलते पक्षी प्रेमी इसे देखने दूर-दूर से पहुंच रहे हैं।

प्रजनन काल में शाकाहारी बन जाता है पक्षी

आमतौर पर हॉर्नबिल सर्वाहारी पक्षी है, लेकिन प्रजनन काल में नर पक्षी जंगली फल, आम, फूल, कलियों का गूदा भोजन के रूप में जुटाता है। ट्रैकरों के मुताबिक मादा नर से छोटी होती है, इसलिए आसानी से उसकी पहचान हो जाती है । इनकी लंबाई 95.110 सेमी, वजन 2.4 किग्रा, पंख फैलाव 50 सेमी होता है।

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