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आदिवासी समाज ने मनाया अपने साल का पहला पर्व : पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ नृत्य का किया प्रदर्शन ,प्रकृति के उपासक माने जाते हैं आदिवासी

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acn18.com कोरबा/ कोरबा के आदिवासी समाज ने अपने साल का पहला माघे पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया। बुधवारी स्थित आदिवासी शक्ति पीठ में पूरा समाज इकट्ठा हुआ और पारंपरिक नृत्य कर इस पर्व की सार्थकता सिद्ध की। माघ पूर्णिमा से लेकर होली के बीच इस पर्व को मनाया जाता है जहां समाज के लोग अपने ईष्ट देव की पूजा आराधना कर लोगों की सुख समृद्धी की कामना की।

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त्यौहारों के देश भारत में हर समाज की अपनी अलग अलग पंरपरा है। उनके अपने अलग अलग त्यौहार भी हैं जिन्हें वे धूमधाम से मनाते भी है। आदिवासी समाज भी देश का एक प्रमुख समाज है जिनके द्वारा मुख्य रुप से प्रकृति की पूजा की जाती है। समाज ने अपने साल का पहला माघे परब हर्षोल्लास के साथ मनाया। बुधवारी स्थिती आदिवासी शक्तिपीठ में पूरा समाज इकट्ठा हुआ और पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ इस पर्व को नाते हुए पारंपरिक नृत्या का प्रदर्शन किया। समाज के पदाधिकारियों ने माघ पूर्णीमा शुरु होने के साथ ही और होली के पहले इसे मनाया जाता है जहां समाज के लोग इकट्ठे होकर ईष्ट देव की पूजा पाठ करने के बाद नाच गायन करते है। समाज के पदाधिकारियों ने यह भी बताया,कि इसी दिन उनके ईष्ट देव का सृजन हुआ था लिहाजा उनकी पूजा पाठ कर लोगों की सुख समृद्धी की कामना की जाती है।

माघे परब की समाप्त के बाद आदिवासी समाज के द्वारा बा परव मनाया जाएगा,जिसके तहत पेड़ों में आए नए नए पत्तों को तोड़कर उनसे समाज के देवता की पूजा आराधना की जाएगी। आदिवासी समाज मुख्य रुप से प्रकृति के उपासक है यही वजह है,कि उनके पर्व भी इन्हीं पर आधारित होते है।

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