पौष महीने की पूर्णिमा 6 जनवरी को है। शुक्रवार को सूर्योदय से पहले ही पूर्णिमा तिथि शुरू होने से स्नान-दान, पूजा-पाठ और व्रत भी इसी दिन किया जाएगा। शास्त्रों में पौष पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान और दान के साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है। विद्वानों का कहना है कि इस महीने सूर्य देव की आराधना से मोक्ष मिलता है। पौष महीने की पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाने की चीजें और ऊनी कपड़ों का दान करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों में इसे पौष पर्व कहा गया है।
तीर्थ स्नान और सूर्य-चंद्र पूजा
पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य और मोक्ष मिलता है। विद्वानों के मुताबिक, इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने का विधान है। सुबह सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना शुभ माना गया है। जबकि शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा कर के व्रत खोलना चाहिए।
सूर्य पूजा: ये पर्व पौष महीने का आखिरी दिन होता है। पौष महीने के देवता भगवान सूर्य हैं। इसलिए इस महीने के खत्म होते वक्त सुबह जल्दी उठकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। उत्तरायण के चलते इस दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने से उम्र बढ़ती है और बीमारियां खत्म होती हैं। पौष महीने की पूर्णिमा
चंद्रमा पूजा: सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ये पहली पूर्णिमा होती है। पुराणों में बताया गया है कि उत्तरायण के बाद पहली पूर्णिमा पर चंद्रमा की 16 कलाओं से अमृत वर्षा तो होती ही है, साथ ही इस दिन चंद्र को दिया गया अर्घ्य पितरों तक पहुंचता है। जिससे पितृ संतुष्ट होते हैं। पौष पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी ही राशि यानी कर्क में होता है। इसलिए इसका प्रभाव बढ़ जाता है। विद्वानों का कहना है कि निरोग रहने के लिए इस दिन औषधियों को चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन सुबह सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियों में राहत मिलने लगती है।
नदियों में स्नान का महत्व
ग्रंथों में कहा गया है कि पौष पूर्णिमा के मौके पर पवित्र नदियों में नहाने से मोक्ष तो मिलता ही है साथ ही कई तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। लिहाज़ा इस दिन तीर्थ में लोग इकट्ठा होते हैं। लेकिन विद्वानों का कहना है कि महामारी के दौर के चलते घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इस दिन प्रयागराज में संगम के अलावा हरिद्वार और गंगा सागर में डुबकी लगाने का बहुत पुण्य मिलता है।