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ज्ञानवापी में ASI सर्वे के खिलाफ हाईकोर्ट में सुनवाई:मुस्लिम पक्ष ने कहा- ASI ने इतनी तेजी क्यों दिखाई; HC तय करेगा सर्वे होगा या नहीं

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Acn18.com/वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने कहा, कानून प्री मेच्योर स्टेज पर ASI सर्वे की अनुमति नहीं देता। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने बहस के दौरान कहा, कोर्ट साक्ष्य बनाने की अनुमति नहीं दे सकती।

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कोर्ट ने कहा, जीपीएस, डेटिंग एक्सरसाइज, जांच का तरीका है। डेटिंग से स्ट्रक्चर की आयु पता होगी। कोर्ट ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को बुलाया। कहा- साइंटिफिक जांच होगी। स्ट्रक्चर को नुकसान नहीं होगा। धरातल में क्या करेंगे? इसपर एएसजीआई बोले- तकनीकी का इस्तेमाल होगा।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन से कोर्ट ने पूछा, क्या आप एएसआई की मदद से बता सकते हैं कि आप क्या करने जा रहे हैं?

जैन ने कहा- जीपीआर और रडार से। कोई खुदाई नहीं. साथ ही कार्बन डेटिंग भी.

हिंदू पक्ष के वकील की दलील से सीजे असंतुष्ट दिखे -पूछा क्या ड्रिल नहीं करेंगे, क्या करेंगे बताइए? एएसजीआई ने कहा-जांच कर फोटो लेंगे, संपत्ति को क्षति नहीं होगी।

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की दलीलें

  • ASI ने इस मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई?
  • सर्वे से ज्ञानवापी के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है।
  • SC ने निचली अदालत को कहा था कि मुकदमा सुनने लायक है या नहीं? इस पर सर्वे कराने का फैसला दे दिया गया।
  • ASI के पास मैकेनिज्म नहीं कि खुदाई से भवन ध्वस्त होने से रोक सके।
  • बिना सबूत के वाद दायर कर दिया, कोर्ट पहले दूसरे पक्ष की आपत्ति पर वाद‌ बिंदु तय करें।
  • अगर वाद मंजूर होता है तो स्ट्रक्चर खुद ही तय हो जाएगा। सर्वे की जरूरत ही नहीं। वाद को साक्ष्य पर तय किया जाना चाहिए।

मुस्लिम पक्ष की याचिका में ASI सर्वे के आदेश को चुनौती
ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने रिट पिटीशन दाखिल की है। जिला जज ने ज्ञानवापी विवादित परिसर का ASI सर्वे का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए 26 जुलाई शाम 5 बजे तक ASI सर्वे पर रोक लगा दी है। मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने आर्टिकल 227 के तहत वाराणसी जिला जज के 21 जुलाई के ASI सर्वे के आदेश को चुनौती दी है। वहीं, मंगलवार को सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है। इस केस में कोर्ट 28 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी।

हिंदू पक्ष ने दाखिल की है कैविएट, कहा-बिना हमें सुने न दें कोई फैसला
मुस्लिम पक्ष की याचिका से पहले सोमवार को हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। ये कैविएट ​​​​​​उनके वकील सौरभ सिंह ने ऑनलाइन फाइल की थी। अपनी कैविएट में राखी ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि अगर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश यानी ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे के आदेश को चुनौती देने के लिए उनके पास आती है, तो याचिकाकर्ता को सुने बिना अपना फैसला न दिया जाए। वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने ये दलील रखी है कि ये सर्वे नहीं होना चाहिए। बाकी जब हियरिंग होगी, तब सारी बात सामने आएगी।

चीफ जस्टिस ने पूछा-क्या ऐसा सर्वे पहले कभी हुआ है?
इससे पूर्व ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वेश्वर मंदिर विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम मंदिर के संदर्भ में भी सर्वे का आदेश किया था। सर्वे तीन साल चला और कोई नुकसान नहीं हुआ। चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या ऐसा सर्वे पहले कभी कहीं हुआ है? विष्णु शंकर जैन ने इस पर बताया कि अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले में ऐसा सर्वे हो चुका है। इसके बाद सीजे ने फिर पूछा कि क्या आपने कोर्ट को पूरा प्लान सब्मिट किया था कि सर्वे कैसे किया जाएगा?

जैन ने कहा कि जी हां। मुस्लिम पक्ष के सीनियर एडवोकेट एसएफए नकवी ने कहा कि ज़िला कोर्ट के ऑर्डर में साफ़ तौर पर लिखा है कि ASI खुदाई कर सकती है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि एएसआई सिर्फ एक हफ्ते के लिए खुदाई ना करने की बात कह रही है। इसके बाद वह खुदाई कि कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। मुस्लिम पक्ष ने हिन्दू पक्ष कि ओर से जिला अदालत में रखी मांगों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी मांगों में खुदाई के जरिए एएसआई से सर्वे कराने की बात कही गई थी।

इस पर हिंदू पक्ष ने कहा कि चूंकि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि औरंगजेब ने यह मस्जिद बनाई है। ऐसे में यह औरंगजेब द्वारा बनाई मस्जिद थी या कोई हिंदू मंदिर था, इस सच का पता करने के लिए हमने जिला अदालत में सर्वे कि मांग की थी। अब जस्टिस जयंत बनर्जी की एकल पीठ कल इस मामले की 9.30 बजे से सुनवाई करेगी।

ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी में किया 3 घंटे सर्वे
वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद ASI ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया था। शुरुआती 3 घंटे के सर्वे में फीता लेकर पूरे परिसर को नापा गया। 4 स्टैंड कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाए गए। एक-एक एक्टिविटी रिकॉर्ड की गई।

उधर, मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया। वह सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई शाम 5 बजे तक के लिए सर्वे पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 26 जुलाई की शाम 5 बजे तक कोई सर्वे न किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान अगर मस्जिद कमेटी चाहे, तो वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकती है। फिलहाल सर्वे को लेकर मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में पहुंच गया है।

ASI की टीम जांच के लिए सभी अत्याधुनिक उपकरण के साथ-साथ फावड़ा, झाड़ू भी अपने साथ लेकर आई थी। ज्ञानवापी परिसर का ठीक एक साल पहले भी सर्वे किया गया था। स्थानीय कोर्ट क आदेश पर कमीशन ने यह सर्वे किया था। उस रिपोर्ट को कोर्ट में जमा किया था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि परिसर में शेषनाग की आकृति के अलावा खंडित देव विग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति, शिलापट्ट मिले हैं। यह रिपोर्ट स्टेट ट्रेजरी के लॉकर में सुरक्षित रखी गई है।

3 बार अलग-अलग आदेशों पर लग चुकी है रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मई 2023 को ज्ञानवापी स्थित वजूखाना में मिली शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक सर्वेक्षण का काम शुरू किए जाने से पहले ही 19 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा थी। इसी तरह 8 अप्रैल 2021 को वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश एएसआई को दिया था, सर्वे का काम शुरू होने से पहले ही सितंबर 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी। अब जिला जज की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे आदेश दिया था। इस पर कल सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई शांम पांच बजे तक अंतरिम रोक लगा दी थी।

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