Acn18.com/आगामी 30 अप्रैल को रेडियो पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का सौवां एपिसोड प्रसारित होगा। आधुनिक समय में जब मोबाइल संदेशों, वाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर के लगातार बढ़ते जा रहे आधिपत्य ने भारतीय समाज में पत्र लिखने की संस्कृति को उसके मरण तक पहुंचा दिया है, तब यदि आपको पोस्टकार्ड एवं अंतर्देशीय देखने की चाहत है तो आकाशवाणी केंद्र जाएं, जहां ‘मन की बात’ पर गांवों-कस्बों से आए अनेक पत्र आपको दिख जाएंगे।
एक प्रकार से ‘मन की बात’ ने देश में पत्र लिखने की संस्कृति को नया जीवन दिया है। मोबाइल संदेशों से इतर पत्र लिखना एक प्रकार से विस्तृत संवाद की चाह की अभिव्यक्ति है, जो सामाजिकता का मूल आत्मा है। भारतीय समाज में दुनिया के अन्य देशों से इतर समाज भाव इसलिए सशक्त है, क्योंकि इसमें संवाद जीवित है। पश्चिमी समाज कम संवाद एवं ज्यादा एकाकीपन से भरा समाज है।
‘मन की बात’ ने देश में रेडियो श्रवण की संस्कृति को भी पुनः जीवित किया है, जो भारतीय समाज में सामूहिकता बढ़ाने का माध्यम रही है। भारत में रेडियो गांव-देहात की चौपालों या शहरों-कस्बों में पान की दुकानों एवं घरों में एक साथ कई लोग बैठकर सुनते रहे हैं, लेकिन यह संस्कृति टीवी एवं मोबाइल के आने के बाद कुछ कमजोर होने लगी थी। अब ‘मन की बात’ कुछ उसी तरह की सामूहिक श्रवण की संस्कृति फिर से विकसित कर रही है। आज पान की दुकानों, चौपालों, खेत-खलिहानों में कई जगह लोग ‘मन की बात’ समूह में सुनते दिख जाएंगे।
‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी किसी भी प्रकार की राजनीतिक चर्चा से बचते हैं। यह एक राजनीतिक व्यक्ति एवं राजनेता द्वारा किया जा रहा सामाजिक संवाद है, जिसका मूल उद्देश्य एक ऐसी सामाजिक संपदा का निर्माण करना है, जिसमें भारतीय समाज में अग्रगामी परिवर्तन आ सके। इसमें प्रधानमंत्री अपनी लोकप्रियता की पूंजी निवेश करते हैं। इस प्रक्रिया में वह अपनी लोकप्रियता को एक प्रकार से सामाजिक संपदा में तब्दील कर देते हैं, जो भारतीय समाज में कई रूपों में परिवर्तनकारी प्रभाव डालता है। इसका एक महत्वूपर्ण पक्ष समाज में अच्छे सामाजिक कार्य करने वालों को सामाजिक नायक के रूप में उभारना है, ताकि वे एक आदर्श में तब्दील होकर अन्य लोगों में अच्छा कार्य करने की प्रेरणा जगा सकें।
मन की बात कार्यक्रम भारतीय समाज को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। जिस सामाजिक कार्य की चर्चा प्रधानमंत्री मोदी करते हैं, उसके प्रति लोगों में सोच बदलती है, उसे व्यापक स्वीकार्यता मिलती है। इसमें जिस कार्य एवं उद्यम की चर्चा होती है, वह गौरवान्वित होता है। इससे उस व्यक्ति में आगे और अच्छा काम करने की चाह बढ़ती है। वह एक सामाजिक नायक के रूप में चर्चित होता है, जिसे देख एवं सुनकर और लोगों में भी ऐसा ही करने की चाह बढ़ती है।
‘मन की बात’ का प्रभाव क्षेत्र संपूर्ण हिंदुस्तान है। महानगरों से आगे जाकर छोटे शहरों, कस्बों, गांव-देहातों एवं दूरस्थ क्षेत्रों में जहां-जहां आकाशवाणी के नेटवर्क की पहुंच है, वहां-वहां इस कार्यक्रम को सुना जाता है। आकाशवाणी की पहुंच देश के लगभग 92 प्रतिशत क्षेत्रफल एवं आबादी तक है। इसमें देश के दूरस्थ क्षेत्रों जैसे उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख और रेत-पहाड़ के प्रसंग आते रहते हैं। इससे उन दूरस्थ समाजों में शेष भारत से जुड़ाव का भाव बलवान होता है। शेष भारत में भी उन दूरस्थ समाजों से जुड़ने की चाह बढ़ती है।
औपनिवेशिक आधुनिकता ने भारतीय समाज में अनेक तरह के संकटों को जन्म दिया है। इसने हममें लोभ, लालच, प्राकृतिक स्रोतों के अतिशय दोहन की प्रवृत्ति को बढ़ाया है। इसने जल, जंगल, जमीन और भारतीय समाज के मूल भावों पर गहरी चोट की है। इसके कारण भारतीय समाज में जल संकट बढ़ा है, वायु प्रदूषण बढ़ा है और हम अपने लोकज्ञान एवं संस्कारों से कटते गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में ऐसे सामाजिक प्रयासों पर बल दिया है, जो पानी की समस्या को दूर करने में हमारी मदद करते हैं। उन्होंने वन क्षेत्र के वासियों में अपनी जमीन, संस्कृति, इतिहास से पुनः लगाव सृजित किया है, ताकि उनकी अपने समाज एवं प्राकृतिक स्रोतों पर आस्था और गहरी हो सके।
अनेक तरह के स्थानीय उत्पादों को भी उन्होंने ‘मन की बात’ के माध्यम से व्यापक प्रसार दिया है। भारतीय समाज में कई तरह के स्थानीय उद्यमी विकास के कार्यों में लगे रहते हैं, उन पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता। ‘मन की बात’ ने इन स्थानीय उद्यमियों एवं स्थानीय उत्पादों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इसने भारतीय समाज के निर्बल सामाजिक समूहों को मूल्यवान एवं बलवान बनाने का जतन किया है। दिव्यांगजनों पर हुई चर्चा इसका बड़ा उदाहरण है। उन्होंने दिव्यांगजनों को एक सम्मानपूर्ण अस्मिता एवं नई भाषिकता देने की कोशिश की है। इससे दिव्यांगजनों में नई आकांक्षा का जन्म हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं की ओर से किए जाने वाले कार्यों की विशेष रूप से चर्चा की है। इससे दूर-दूराज वाले क्षेत्रों में रहने वाली कर्मशील एवं श्रमशील महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है। इसमें स्थानीय पारंपरिक खेलों एवं खेल सामग्रियों के निर्माण जैसे विषय भी आते रहे हैं। इस प्रकार ‘मन की बात’ ने स्थानीय, किंतु महत्वपूर्ण सामाजिक प्रयासों को महत्व देकर एक नई सामाजिक संपदा विकसित की है। इसने समाज की जड़ता को तो तोड़ने में तो मदद की ही है, नए भारत के लिए नई सामाजिक प्रेरणा का भी सृजन किया है।