Acn18.com/महाराष्ट्र में रविवार को एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ। शरद पवार के भतीजे और विपक्ष के नेता अजित पवार महाराष्ट्र की सरकार में शामिल हो गए। वे अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और मंत्री पद की शपथ ली। उन्हें राज्य का डिप्टी CM बनाया गया है। इस दौरान CM एकनाथ शिंदे और डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस मौजूद हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, NCP के 9 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे। इनमें पवार के अलावा छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ शामिल हैं।
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, अजित पवार के साथ राजभवन गए कुछ विधायक, पटना में विपक्षी एकता बैठक में मंच साझा करने और राहुल गांधी के साथ सहयोग करने के शरद पवार के एकतरफा फैसले से नाराज थे।
अजित ने सुबह विधायकों की मीटिंग ली, सुप्रिया मौजूद थीं पर शरद पवार को जानकारी नहीं थी
अजित पवार ने रविवार को मुंबई में अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों के साथ मीटिंग की। इसमें पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले मौजूद थीं। अजित पवार के राजभवन पहुंचने के दौरान NCP चीफ शरद पवार पुणे में थे। उन्हें विधायकों की मीटिंग की जानकारी नहीं थी। बाद में जब उन्हें इसका पता लगा तो बोले- अजित पवार विपक्ष के नेता हैं तो विधायकों की बैठक बुलाने का उनहें अधिकार है।
अजित पवार की नाराजगी की 2 वजह…
पहली वजह: शरद पवार का इस्तीफा और फिर पलटना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अजित पवार शरद पवार से नाराज चल रहे हैं। पहली बार 2 मई को जब शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद छोड़ा था तो इस बात की संभावना थी कि अजित पवार को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। जब पार्टी नेताओं और समर्थकों ने शरद पवार के फैसले का विरोध किया तो अजित ने खुलेआम कहा था कि इस विरोध से कुछ नहीं होगा।
पवार साहब अपना फैसला नहीं बदलेंगे। हालांकि 4 दिन में ही पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। वे जब इस बात की जानकारी मीडिया को देने आए तो अजित पवार वहां मौजूद नहीं थे। तब इस बात की चर्चा थी कि अजित शरद पवार के फैसले से नाराज हैं।
दूसरी वजह: संगठन में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना
दूसरी घटना हाल ही में पार्टी संगठन में हुए फेरबदल को लेकर है। शरद पवार ने 10 जून यानी पार्टी के 25वें स्थापना दिवस पर बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष समेत विभिन्न राज्यों का प्रभार दे दिया। इसके बाद अजित पवार की नाराजगी की खबरें आईं। हालांकि, उन्होंने इससे इनकार किया था। शरद पवार ने भी कहा कि अजित पहले से ही विपक्ष के नेता के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वे राज्य देखेंगे।