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Wrestlers Protest: यहां लिखी गई पहलवानों को शांत कराने की स्क्रिप्ट! पर्दे के पीछे ये हैं शाह के खास किरदार

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Acn18.com/जंतर मंतर से हरिद्वार। वहां से सोरम (मुजफ्फरनगर)। खाप पंचायतों द्वारा 9 जून को दोबारा से जंतर मंतर पर जाने का एलान। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पहलवानों की सीक्रेट मीटिंग, उसके बाद पहलवानों का अपनी ड्यूटी पर पहुंचना और राकेश टिकैत का यह कहना कि अब 9 जून को जंतर मंतर पर नहीं जाएंगे, अभी तक पहलवानों के आंदोलन की कुछ यही कहानी है। हालांकि यहां तक पहुंची इस कहानी में कोई एक-दो नहीं, बल्कि अलग-अलग कई किरदार हैं।

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हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात तक के लोग, पहलवानों के मामले में अहम कड़ी बने हैं। इस मामले को शांत करने में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राज्यसभा सांसद और राज्यपाल से विधायक तक, पर्दे के पीछे कई खास चेहरे शामिल रहे हैं। यहां तक कि पहलवानों के आंदोलन को हाईजैक करने को लेकर एक समय पर खाप पंचायतों के बीच भी मनमुटाव देखा गया। एक ऐसी घड़ी भी आई, जब खाप पंचायतों ने पहलवानों को उनके सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी दे दी थी।

पहलवानों के हरिद्वार पहुंचते ही जुड़ती चली गई कड़ियां

खाप पंचायत से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ, तो जंतर मंतर पर बैठे पहलवानों ने वहां जाकर प्रदर्शन करने का प्रयास किया। इस बात पर पहलवान, खाप पंचायत और दूसरे सामाजिक संगठन, एकमत नहीं थे। इसके बाद भी पहलवानों ने नए संसद भवन की तरफ कूच करने का प्रयास किया। दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को ऐसा नहीं करने दिया। मीडिया में ऐसी तस्वीरें आईं, जिनमें पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच धक्का मुक्की होती हुई दिखी। इसके बाद पहलवानों ने कहा, वे अपने मेडल गंगा (हरिद्वार) में बहा देंगे। इससे पहले कि मेडल बहाए जाते, किसान नेता नरेश टिकैत वहां पहुंच गए। उन्होंने पहलवानों को ऐसा करने से रोका। यही वो पॉइंट था, जब केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों की, पहलवानों के आंदोलन में एंट्री हो गई। मुजफ्फरनगर के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने पहलवानों से बात की। उनकी मुलाकात केंद्र में एक शीर्ष नेता से कराने का भरोसा दिया। सूत्रों के अनुसार, बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह भी इस विवाद में मध्यस्थ की भूमिका में नजर आए।

सोरम (मुजफ्फरनगर) की खाप पंचायत में दिखा असर

हरिद्वार में नरेश टिकैत ने पहलवानों से पांच दिन मांगे थे। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि इस अवधि में खाप पंचायत एवं किसान संगठन कुछ न कुछ करेंगे। सोरम (मुजफ्फरनगर) में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के खाप प्रतिनिधियों की बैठक हुई। माना जा रहा था कि बैठक में कोई बड़ा निर्णय होगा, लेकिन राकेश टिकैत ने कहा, पंचायत ने फैसला ले लिया है और इसकी जानकारी कुरुक्षेत्र में होने वाली खाप पंचायत में दी जाएगी। खास बात है कि यही वो पंचायत थी, जब पहली बार यह आवाज सुनाई पड़ी कि पहलवानों का आंदोलन हाईजैक हो रहा है। खाप प्रतिनिधियों के बीच मनमुटाव जैसा कुछ दिखा। कुरुक्षेत्र की पंचायत में कुछ खास नहीं हुआ। वहां भी सरकार को 9 जून तक का समय दे दिया। अगर इस अवधि में बृज भूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो किसान संगठन एवं खाप पंचायतें, दोबारा से पहलवानों को लेकर जंतर मंतर पर पहुंच जाएंगी। जिस वक्त कुरुक्षेत्र की खाप पंचायत चल रही थी, उसी समय खबर आई कि बृजभूषण शरण सिंह की अयोध्या में होने वाली रैली स्थगित कर दी गई है। ये संयोग नहीं था, बल्कि पहलवानों के आंदोलन में केंद्र सरकार की एंट्री का इफेक्ट था।

केरल हाउस में खुला शाह व पहलवानों की बैठक का रास्ता

चूंकि केंद्र सरकार किसी भी तरह से पहलवानों के मामले को शांत कराने की ठान चुकी थी, इसलिए पहलवानों के साथ बातचीत का दोतरफा संवाद शुरू हुआ। एक तरफ हरियाणा और दूसरी ओर यूपी के नेता, इसके लिए आगे आए। हरियाणा से जुड़े एक खाप प्रतिनिधि के मुताबिक, जंतर मंतर से लगते केरल हाउस में पहलवानों और केंद्र सरकार के मध्यस्थों की बैठक हुई। यह बैठक मई के अंतिम सप्ताह में हुई थी। यहीं से पहलवानों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात का रास्ता खुला। शाह की बैठक के लिए हरियाणा से राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा, चरखी दादरी के विधायक सोमबीर सांगवान और भाजपा शासित एक बड़े प्रदेश के राज्यपाल प्रयासरत रहे। खास बात यह है कि हरियाणा से कार्तिकेय शर्मा बतौर निर्दलीय प्रत्याशी, राज्यसभा पहुंचे थे। सोमबीर सांगवान भी निर्दलीय विधायक हैं। उन्होंने गत विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता और पहलवान बबीता फोगाट को हराया था। सांगवान ने भाजपा को समर्थन दिया और उन्हें पशुधन बोर्ड के चेयरमैन का पद सौंप दिया गया। किसान आंदोलन में उन्होंने पशुधन बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर खट्टर सरकार से समर्थन वापसी का एलान भी कर दिया था।

पहलवानों का सामाजिक बहिष्कार करने की चेतावनी

अब पहलवानों की मीटिंग केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हो चुकी थी। इसके बाद चार जून को हरियाणा के सोनीपत जिले के मुंडलाना गांव में महापंचायत बुलाई गई। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी सहित कई लोग इस पंचायत में पहुंचे थे। किसान नेता गुरनाम सिंह, मंच से यह घोषणा करने ही वाले थे कि पहलवानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ भाजपा नेताओं को गांवों में नहीं घुसने दिया जाएगा। उसी वक्त पहलवान बजरंग पुनिया ने गुरनाम सिंह को रोक दिया। यह कोई छोटी घटना नहीं थी। जंतर मंतर पर दूसरी बार के प्रदर्शन में पहलवानों ने खुद खाप पंचायतों से समर्थन मांगा था। एक खाप प्रतिनिधि के मुताबिक, यहां पर खाप पंचायत और किसान संगठन नाराज हो गए। उन्होंने पहलवानों को यहां तक कह दिया कि वे पीछे हटते हैं, तो उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा। इसके अगले ही दिन पहलवानों ने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली। मुंडलाना गांव की महापंचायत में केंद्र सरकार की एंट्री का असर साफ दिख रहा था। इसके बाद सोमवार को राकेश टिकैत ने घोषणा कर दी कि अब 9 जून को जंतर मंतर पर नहीं जाएंगे। पहलवान आगे जो कुछ कहेंगे, वही करेंगे। किसान संगठन, पहलवानों के साथ खड़े हैं, उनका साथ देंगे। पहलवानों का आंदोलन शांत कराने के पीछे राजनीतिक नुक़सान का अंदेशा रहा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को पता लग चुका था कि इस आंदोलन का असर हरियाणा में न केवल लोकसभा चुनाव, बल्कि विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।

आंदोलन को नाकाम करने की साजिश

कहीं न कहीं पहलवानों का आंदोलन हाईजैक हो रहा था, इसकी पुष्टि भारतीय किसान यूनियन (किसान सरकार) ने भी की है। इस संगठन के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी वीरेंद्र सिंह हुड्डा तथा सिंहरोहा खाप के प्रवक्ता एडवोकेट संदीप सिंहरोहा ने 31 मई को एक प्रेसवार्ता में पहलवानों के आंदोलन को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने पहलवानों से आह्वान किया था कि वे आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए जो भी फैसला लें, पूरी तरह से सोच-विचार कर लें। इस आंदोलन को नाकाम करने के लिए सरकार ने राजनीतिक सौदागरों को मैदान में उतार दिया है। हुड्डा ने कहा, ये सौदागर किसान व खाप नेताओं के वेश में आंदोलन में सक्रिय हो चुके हैं। भोले-भाले पहलवानों को बहकाने का प्रयास हो रहा है। इन लोगों का प्रयास है कि यौन शोषण के आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह को जेल की सलाखों के पीछे जाने से बचाया जाए। ये वही सौदागर हैं, जिन्होंने पहले जाट आरक्षण आंदोलन और फिर किसान आंदोलन को बदनाम कराया था। अब पहलवानों के आंदोलन पर कब्जा कर इन्हें सरकार के मन माफिक चलाना चाहते हैं। हरियाणा और दिल्ली से जुड़े कुछ खाप प्रतिनिधियों ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि पहलवान टिकैत बंधुओं के कहने पर चल रहे हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से भी इस मामले में टिकैत बंधुओं को समझाया गया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी कहना है कि अब पहलवानों के मामले में केंद्र सरकार से वार्ता के रास्ते खुल गए हैं। संभव है कि बहुत जल्द केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी खाप प्रतिनिधि मिल सकते हैं।

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