Acn18.com/कार्डियक अरेस्ट के चलते राजनांदगांव के रहने वाले एक बजुर्ग की जान जाते जाते बची। गनीमत यह रही कि उसे सही समय पर राजनांदगांव जिला अस्पताल पहुंचा दिया गया। वहां के डॉक्टरों ने जब उसकी हार्ट बीट 35 पाई तो तुरंत सीपीआर देते हुए बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी। मरीज को भिलाई के स्पर्श मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पहुंचाया गया। यहां डॉक्टरों ने टेंपरेरी पेसमेकर लगाकर उसकी जान बचाई।
स्पर्श हॉस्पिटल के डायरेक्टर एंड मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. संजय गोयल ने भास्कर को बताया कि कुछ दिन पहले राजनांदगांव जिला अस्पताल से मेहताराम बुआर नाम का एक मरीज रेफर होकर आया था। उसकी हार्टबीट 35 थी। किडनी काम नहीं कर रही थी। हार्टबीट मेंटेन करने के लिए दवाएं चलाई गईं। जब हार्टबीट ठीक हुई तो उसका ईसीजी किया गया। ईसीजी में हार्ट ब्लॉकेज आया। इसके बाद डॉक्टरों ने तुरंत मरीज को एक टंप्रेरी पेस मेकर लगाया। पूरी तरह से स्टेबलिस होने के बाद उसको परमानेट पेसमेकर लगाया गया। साथ ही साथ उसका डायलिसिस करके यूरिन आउटपुट भी मेंटेन किया गया। डॉ. गोयल का कहना है कि यदि मरीज के परिजन समय पर उसको बड़े अस्पताल नहीं पहुंचाते तो उसकी जान जा सकती थी।
सीपीआर देते हुए मरीज को लाया गया भिलाई
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद असलम खान ने बताया कि मरीज की जान मुख्य रूप से सीपीआर देने से बची। डॉक्टरों ने मरीज को जिस एंबुलेंस से भेजा उसके अटेंडर और परिजनों को सीपीआर देते रहने की सलाह दी। इस तरह मरीज को पूरे रास्ते सीपीआर देते हुए भिलाई तक लाया गया है। अस्पताल पहुंचने पर मरीज का पल्स बीपी नहीं मिल रहा था। यहां उसे प्रॉपर सीपीआर दिया गया। इसके बाद पल्स बीपी बढ़ाने की दवाएं दी गईं। हार्ट रेट मेंटेन होने के बाद उसका आगे का इलाज किया गया।
कार्डियक अरेस्ट में अचानक बंद नहीं होता दिल
डॉ. असलम खान ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने से हार्ट ब्लड को पंप नहीं कर पाता। कुछ पलों में पूरा शरीर प्रभावित होने लगता है। कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक बंद नहीं होता। इससे 3 से 5 मिनट के लिए हार्ट बीट अचानक तेज ( 350 से 400 बीट्स प्रति मिनट ) हो जाती हैं। इसके बाद हार्ट काम करना बंद करता है। ऐसी स्थिति में इंसान को बचाने के लिए केवल 3 से 5 मिनट का ही समय मिलता है। समय रहते यदि उसे सीपीआर या इलेक्ट्रिक शॉक मिल जाए तो उसकी जान बच सकती है।
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
- बेचैनी
- बेहोशी
- हार्ट रेट तेज बढ़ना
- सीने में जकड़न और दर्द
- चक्कर आना
- सांस लेने में परेशानी
- उल्टी होना
- पेट और सीने में साथ में दर्द