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गो-मूत्र खरीदी से पहले रिसर्च:कृषि और कामधेनु विश्वविद्यालय करेंगे 12 बिंदुओं पर जांच; कृषि कार्य में वैज्ञानिक उपयोगिता करेंगे प्रमाणित

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ACN18.COM रायपुर/छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गो-मूत्र खरीदी की घोषणा की है। सरकार का कहना है, इसका कृषि कार्य में उपयोग किया जाएगा। गो-मूत्र की खरीदी शुरू करने से पहले सरकार वैज्ञानिक ढंग से उसके फायदों को प्रमाणित करना चाहती है। कृषि विभाग ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के कृषि उपयोग के तकनीकी परीक्षण का जिम्मा सौंपा है। दोनों ही विश्वविद्यालयों के लिए प्रस्तावित कार्यों को 12 बिंदुओं में बांटा गया है।

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दोनों विश्वविद्यालयों के साथ ही संचालक कृषि एवं संचालक उद्यानिकी शोध पत्रिकाओं में गो-मूत्र की कृषि संबंधी उपयोगिता पर प्रकाशित अनुसंधान का संकलन, गो-मूत्र उत्पाद तैयार करने वाले कृषकों, समूहों, संस्थाओं को सूचीबद्ध करना और कृषि में गो-मूत्र उत्पादों की सफलता का दस्तावेजीकरण करेंगे। इन संस्थाओं को स्थापित गो-मूत्र उत्पादों का निर्माण एवं गुणवत्ता परीक्षण, उत्पाद उपयोग करने में कठिनाई का चिह्नांकन व निराकरण संबंधी अनुसंधान, वैज्ञानिक विधि से गो-मूत्र आधारित नवीन उत्पाद तैयार किए जाने संबंधी अनुसंधान और मैदानी स्तर पर शुद्धता परीक्षण के लिए लो-कास्ट स्पॉट टेस्ट संबंधी अनुसंधान करने को भी कहा गया है।

इसके अलावा गो-मूत्र उत्पादों का कृषि, उद्यानिकी, चारा फसलों में परीक्षण, आर्थिक आंकलन कर गो-मूत्र उत्पाद से प्रतिस्थापित किए जा सकने वाले रासायनिक उत्पादों का चिह्नांकन, गो-मूत्र उत्पादों का प्रमाणीकरण एवं कृषकों एवं कृषि विकास के मैदानी अधिकारियों की क्षमता विकास पर कार्य करने के लिए कहा गया है।

गोबर खरीदी के नतीजों से उत्साहित है सरकार

छत्तीसगढ़ में सरकार गोधन न्याय योजना संचालित कर रही है। इस योजना में दो रुपया प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदा जा रहा है। गौठानों में इस गोबर का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद बनाने के लिए किया जा रहा है। राज्य के किसान वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उपयोग भी बड़ी मात्रा में कर रहे हैं। इससे दूसरे विभिन्न उत्पादों के साथ बिजली और पेंट बनाने की भी तैयारी है।

अब गो-मूत्र खरीदी की बारी

राज्य सरकार ने अब राज्य में कृषि क्षेत्र में गो-मूत्र के उपयोग से उन्नत कृषि की ओर बढ़ने का प्रयास हो रहा है। कई जानकारों का कहना है कि गौ-मूत्र का उपयोग कीटनाशक और खाद के रूप में भी किया जा सकता है। इसका उपयोग कई दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में भी हो सकता है। हांलाकि इसके लिए वैज्ञानिक अनुसंधान उपलब्ध नहीं है। अब गो-मूत्र के उपयोग की संभावनाओं को वैज्ञानिक स्तर पर जांचा-परखा जाएगा, फिर इसे राज्य के कृषकों के बीच ले जाने का काम होगा।

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