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दुर्लभ प्रजाति का फूल खिला कोरबा में :ब्रह्म कमल का जिक्र पौराणिक कथाओं में ,मान्यता के अनुसार भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प

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Acn18.com/ छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के अग्रोहा मार्ग निवासी अशोक कुमार अग्रवाल ने ब्रह्म कमल पुष्प का पेड़ 5 वर्ष पूर्व लगाया था। जिसमें हर वर्ष एक से दो फूल खिलते थे । इस वर्ष पौधे में पूरे 9 फुल खिले हैं । यह फूल सफेद रंग का होता है जिसके रेशों से मनमोहक खुशबू आती है,इस फूल को पानी में नहीं बल्कि जमीन पर लगाया जाता है जो जुलाई से सितंबर के मध्य मानसून के दौरान खिलता है। । यह आमतौर पर रात में 4-से 5 घंटे के लिए ही खिलता है।

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यह ब्रह्म कमल मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में समुद्र तल से 3000 से 4800 मीटर की ऊंचाई पर उगता है, जहां ट्री लाइन खत्म हो जाती है और बुग्याल शुरू होते हैं। भारत में यह उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में पाया जाता है। उत्तराखंड में इसे “कौल पद्म” नाम से भी जाना जाता है और यह उत्तराखंड का राजकीय फूल है। यह केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और तुंगनाथ जैसे क्षेत्रों में मिलता है।

ब्रह्म कमल के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है।यह फूल जुलाई से सितंबर (मध्य मानसून) के दौरान खिलते हैं और केवल 3 माह तक दिखाई देते हैं। यह आमतौर पर रात में 4-5 घंटे के लिए ही खिलता है। इसका फूल बैगनी रंग का होता है, जो टहनियों में नहीं बल्कि पीले पत्तियों से निकले कमल पात के पुष्पगुच्छ के रूप में खिलता है। जब यह खिलता है तो आसपास का वातावरण सुगंधित हो उठता है।भारत में ब्रह्म कमल की लगभग 61 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 58 अकेले हिमालयी इलाकों में होती हैं। यह सामान्य कमल की तरह पानी में नहीं, बल्कि जमीन पर उगता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
ब्रह्म कमल को भगवान ब्रह्मा का प्रतिरूप माना जाता है और कुछ लोग मानते हैं कि इसकी पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती हैं। इसे भगवान शिव का सबसे प्रिय पुष्प माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने शिवजी को ब्रह्म कमल के फूल अर्पित किए थे। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु और केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव को ब्रह्म कमल ही चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि इसे शिवजी को अर्पित करने से वे तुरंत प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।ऐसा भी कहा जाता है कि शिवजी ने ब्रह्म कमल से ही जल छिड़ककर गणेशजी को जीवित किया था, इसलिए इसे जीवन देने वाला फूल माना जाता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार, ब्रह्म कमल का पौधा सुख, सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करता है और व्यक्ति के जीवन में मनोवैज्ञानिक संतुलन बनाए रखता है।इसे बुरी शक्तियों से बचाने वाला भी माना जाता है

ब्रह्म कमल में कई औषधीय गुण होते हैं और इसके फूल, पत्ते, बीज और जड़ें विभिन्न स्वास्थ्य लाभ दे सकती हैं बुखार में फायदेमंद: इसमें ज्वरनाशक (antipyretic) गुण होते हैं जो बुखार के इलाज में मदद करते हैं। घाव भरने में सहायक: इसमें एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं जो घाव और बैक्टीरिया की परेशानी को दूर करते हैं। रक्त शोधन: यह शरीर में रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है।कैंसर: कैंसर के इलाज में भी सहायक माना जाता है (हालांकि इस पर और शोध की आवश्यकता है)। सर्दी-जुकाम और काली खांसी: थकान मिटाने, सर्दी-जुकाम और काली खांसी को दूर करने में लाभदायक है। लिवर स्वास्थ्य: यह लिवर के लिए टॉनिक की तरह कार्य करता है और लिवर की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।अन्य लाभ: यह सांप काटने के इलाज, प्लेग, गठिया, मानसिक स्वास्थ्य विकारों और हृदय विकारों में भी उपयोगी माना जाता है।
यह फूल काफी दुर्लभ और कीमती है, और कभी-कभी इसकी एक फूल की कीमत 500 से 1000 रुपये तक हो सकती है।

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