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दुर्ग से दुबई तक फैला महादेव सट्‌टा ऐप का नेटवर्क:बिलासपुर के दफ्तर में दबिश, 2.47 लाख कैश, 6 लैपटॉप, 10 मोबाइल जब्त, 7 गिरफ्तार

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acn18.com बिलासपुर/छत्तीसगढ़ में पुलिस की लगातार छापेमारी के बाद भी महादेव ऐप के ऑनलाइन सट्‌टे का कारोबार बढ़ता जा रह है। दरअसल, इसका पूरा नेटवर्क दुर्ग से शुरू होकर प्रदेश और दूसरे राज्यों में फैला हुआ है। दुर्ग के सरगना ही इसे ऑपरेट कर रहे हैं। दुर्ग के बुकी दुबई से आईडी लेकर बिलासपुर में ऑनलाइन सट्‌टे का कारोबार चला रहे थे। पुलिस ने दबिश देकर दुर्ग के दो सट्‌टेबाजों के साथ ही सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से दो लाख 47 हजार रुपए, 6 लैपटॉप, 10 मोबाइल बरामद कर लाखों रुपए के बैंक अकाउंट होने का खुलासा किया है। पूरा मामला तोरवा थाना क्षेत्र का है।

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SSP पारुल माथुर ने पुलिस अफसरों को ऑनलाइन सट्‌टेबाजों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही इनके नेटवर्क की तलाश करने को कहा है। तोरवा TI फैजूल शाह अपनी टीम के साथ ऑनलाइन सट्टे की जानकारी जुटा रहे थे, तभी पता चला कि देवरीखुर्द के बूटापारा में सट्‌टेबाजों का ऑफिस चल रहा है, जहां कुछ युवक बैठकर लैपटॉप में नेटवर्किंग का काम करते हैं। जानकारी मिलते ही उन्होंने अपनी टीम के साथ बुधवार को दबिश देकर मुंगेली के जरहागांव निवासी युगल साहू को पकड़ लिया। वह महादेव एप के जरिए सट्टे का काम कर रहा था। उससे पूछताछ करने पर पता चला कि ऑनलाइन सट्‌टे का नेटवर्क दुर्ग से जुड़ा है।

दुगै से फैला है ऑनलाइन सट्‌टे का नेटवर्क।
दुगै से फैला है ऑनलाइन सट्‌टे का नेटवर्क।

बुकी को चकमा देकर पहुंची पुलिस
युगल साहू के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उसके नेटवर्क के दूसरे सदस्यों को पकड़ने की योजना बनाई। इस दौरान पुलिस ने युगल को दुर्ग के बुकी मनीष सोनवानी से बात कराया और पुलिस के पकड़े जाने की बात कही। साथ ही कहा कि लेनदेन करने पर पुलिस वाले छोड़ देंगे। तब उसने सौदा तय करने के लिए कहा। फिर कुछ देर बाद युगल से मनीष की दोबारा बात कराई और बताया कि पुलिस ने उसे छोड़ दिया है। इसके बाद मनीष ने उसे कहा कि अब उनकी आईडी की पुलिस को जानकारी लग गई है। लिहाजा, वह लैपटॉप जमा कर दे और उसे दूसरी आईडी मिलेगी। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया और युगल को लैपटॉप देकर टीम के साथ दुर्ग भेजा गया। जैसे ही युगल रेलवे स्टेशन पहुंचा, तब मनीष उससे लैपटॉप लेने आया और पुलिस ने उसे भी दबोच लिया।

एक-एक कर पकड़े गए सात आरोपी
युगल और मनीष के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने उनसे पूछताछ कर उसके गिरोह के पांच अन्य सदस्यों को पकड़ा, जो तोरवा क्षेत्र में ऑनलाइन सट्‌टे का नेटवर्क चला रहे थे। पकड़े गए आरोपियों में मुंगेली के धरमपुरा निवासी चन्दन साहू (26), दुर्ग के अरसी क्षेत्र के बोरी निवासी हेमराज निषाद(24), बेमेतरा बेरला के दबलघोर निवासी चिरंजीव निषाद (22), दुर्ग के अरसी के बोरी निवासी अनिल कुमार निषाद (24) और दुर्ग के बोरी के लिटिया निवासी खोमलाल वर्मा (19) शामिल हैं।

मनोज सोनी चला रहा है नेटवर्क

पुलिस के अनुसार ऑनलाइन सट्‌टे का नेटवर्क दुर्ग से शुरू होकर प्रदेश के कई शहरों तक फैल गया है। पुलिस को इनके सरगना मनोज सोनी की भी जानकारी मिली, जो अभी अंडरग्राउंड हो गया है। उसके मोबाइल बंद है। पुलिस तकनीकी जानकारी एकत्र कर उसकी पतासाजी कर रही है।

बैंक खाते को किया गया सीज
पकड़े गए आरोपियों ने मुख्य आरोपी के बैंक खाते में पेमेंट किया था, जिसे पुलिस ने सीज कराया है। उसमें एक लाख से अधिक की रकम जमा की गई थी। इसी तरह उनके अन्य बैंक खातों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं बैंक खाते के जरिए मुख्य सरगना की भी जानकारी एकत्र की जा रही है।

अलग-अलग जगहों पर ऑफिस खोलकर चला रहे कारोबार।
अलग-अलग जगहों पर ऑफिस खोलकर चला रहे कारोबार।

15 हजार वेतन, 8 प्रतिशत कमीशन में होता खेल
आरोपियों से पूछताछ करने पर पता चला कि, उन्हें मुख्य सरगना ने 15 हजार के वेतन और कमीशन पर रखा था। सट्टा लगाने वाले अगर हारते हैं तो उनसे ली जाने वाली रकम का 8 प्रतिशत कमीशन वे रखते हैं और शेष पैसे सरगना के बताए बैंक अकाउंट पर जमा कर देते हैं।

शातिर सरगना ओटीपी से करता है पेमेंट
पुलिस ने बताया कि सरगना इतने शातिर हैं कि वे हर राज्य में स्टेट हेड बनाकर रखे हैं और बुकी को जब उन्हें पेमेंट करना होता था तब वे खुद व्हाट्सएप कॉल के जरिए ओटीपी भेजते हैं, तब पेमेंट होता है। पुलिस को मिले व्हाट्सएप नंबर ऐसे हैं, जो पहले से बंद हो चुके हैं। लेकिन उसमें सिर्फ व्हाट्सएप चल रहा। चूंकि, व्हाट्सएप के जरिए आरोपियों तक पहुंचना मुश्किल है इसलिए वे पकड़ में नहीं आ पा रहे हैं।

3 मिनट में रिप्लाई नहीं किया तो लॉगआउट, सभी हो जाते हैं सतर्क
महादेव सट्टा एप को ऐसा डिजाइन किया गया है कि अगर कोई बुकी ऑनलाइन रहते हुए अचानक 3 मिनट के भीतर रिप्लाई नहीं करता तो तत्काल उसकी आईडी लॉगआउट हो जाती है। इसके साथ ही सभी बुकी और सरगना एक्टिव हो जाते हैं और अपने नंबर बंद करके कुछ समय के लिए गायब हो जाते हैं। उन्हें संदेह हो जाता है कि उनका सदस्य जरूर पुलिस के हत्थे चढ़ गया है, इसलिए वे ऐसा तरीका अपनाते हैं। ताकि, पुलिस उनके नेटवर्क तक न पहुंच सके।

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