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छत्तीसगढ़ में साम्प्रदायिकता भड़काने वालों पर NSA लगाएगी सरकार:पुलिस को कभी भी गिरफ्तारी का अधिकार मिला, इस कानून में जमानत भी मुश्किल होगी

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acn18.com रायपुर/छत्तीसगढ़ में साम्प्रदायिकता भड़काने वालों पर सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका लगाने जा रही है। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को अधिकृत कर दिया गया है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे व्यक्तियों को एक साल तक हिरासत में रख सकती है। इसमें जमानत भी मुश्किल होगी। बताया जा रहा है कि नारायणपुर में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के बाद सरकार को पूरे प्रदेश में ऐसी घटनाओं की साजिश के इनपुट मिले हैं।

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गृह विभाग ने पिछले दिनों असाधारण राजपत्र में एक अधिसूचना जारी की। इसके जरिये जिला कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका लगाने के लिए अधिकृत किया गया है। इस अधिसूचना के मुताबिक राज्य सरकार के पास ऐसी रिपोर्ट है कि कुछ तत्व साम्प्रदायिक मेल-मिलाप को संकट में डालने के लिए, लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई कार्य करने के लिए सक्रिय हैं, अथवा उनके सक्रिय हाेने की संभावना है। सरकार को इसका समाधान भी हो गया है।

ऐसे में वह सभी 33 जिलों के कलेक्टरों-जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया गया है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-रासुका की धारा-तीन-2 से मिले शक्तियों का प्रयोग एक जनवरी से 31 मार्च 2023 तक की अवधि में कर सकते हैं। अधिवक्ता फैसल रिजवी बताते हैं कि अगर सरकार को ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति अथवा समूह से राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा लोक व्यवस्था को गंभीर खतरा है तो वह मजिस्ट्रेट को इसके लिए अधिकृत कर सकती है। यह आदेश एक बार में तीन महीनों के लिए ही जारी किया जा सकता है। बाद में इसे तीन-तीन महीनों के लिए बढ़ाया जा सकता है।

सरकार ने राजपत्र में यह अधिसूचना प्रकाशित की है।
सरकार ने राजपत्र में यह अधिसूचना प्रकाशित की है।

क्या अधिकार देता है इस कानून का धारा तीन-2

इसमें कहा गया है कि केंद्र अथवा राज्य सरकार किसी व्यक्ति हानिकारक कार्य करने से रोकने, लोक व्यवस्था बनाए रखने अथवा आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए ऐसे व्यक्ति को हिरासत में रखने-निरुद्ध करने का आदेश दे सकती है। ऐसा आदेश जारी होने के सात दिन के भीतर राज्य सरकार, केंद्र सरकार को भी इसकी जानकारी देगी। वह आधार भी बताएगी, जिसके तहत ऐसा आदेश जारी किया गया है।

गिरफ्तारी का असीमित अधिकार देता है यह कानून

बताया जा रहा है, इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को पहले तीन महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। जरूरत पड़ी तो तीन-तीन महीनों के लिए हिरासत की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। गिरफ्तारी के आदेश को सिर्फ इस आधार पर अवैध नहीं माना जा सकता है कि इसमें से एक या दो कारण स्पष्ट नहीं हैं, उसका अस्तित्व नहीं है अथवा वह अप्रासंगिक है- उस व्यक्ति से संबंधित नहीं है। किसी अधिकारी को ऐसे आधार पर गिरफ्तारी का आदेश पालन करने से नहीं रोका जा सकता है। गिरफ्तारी के आदेश को इसलिए अवैध करार नहीं दिया जा सकता है कि वह व्यक्ति उस क्षेत्र से बाहर हो जहां से उसके खिलाफ आदेश जारी किया गया है।

बस्तर में पिछले एक महीने से चल रहा है बवाल

बस्तर संभाग के कई जिलों में पिछले एक महीने से छिटपुट बवाल जारी है। पिछले महीने नारायणपुर जिले में धर्मांतरण कर इसाई बन चुके लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं अचानक बढ़ गईं। 16 दिसम्बर को 14 गांवों के ऐसे लोगों ने भागकर जिला मुख्यालय में शरण ली। बाद में धर्मांतरित लोगों ने एक गांव में कुछ ग्रामीणों को पीट दिया। जवाब में एक बड़ी भीड़ ने नारायणपुर में चर्च पर हमला किया। उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे एसपी सदानंद कुमार पर भी हमला हुआ। एसपी घायल हो गए। खुफिया इनपुट है कि शरारती तत्व धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर पूरे प्रदेश में बवाल खड़ा करने की कोशिश में हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर पुलिस लाईन हेलीपेड से धमतरी जिले के ग्राम खिसोरा के लिए रवाना

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