नागपुर रेलवे स्टेशन से महज एक किमी दूर स्थित मोमिन पुरा। ये वो जगह है जहां से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश तक सिंथेटिक ड्रग की सप्लाई हो रही है। इंजेक्टेबल वॉयल, एमडी, ब्राउन शुगर से लेकर सारे हाई प्रोफाइल ड्रग यहां उपलब्ध हैं। बस आपके पास एक सही मोबाइल नंबर होना चाहिए।
वाट्सएप पर ऑर्डर करिए। क्वांटिटी बताइए। रेट बता दिया जाएगा। एक लोकेशन भेजा जाएगा। वहां खड़े रहने को कहा जाएगा। इधर आपने पहली किस्त का भुगतान किया और 10 मिनट के भीतर आपके लोकेशन पर सामान पहुंच जाएगा।
दूसरी किस्त देते ही आपको पैकेट दे दिया जाएगा। हमने बुप्रेनोरफिन और एविल के वॉयल खरीदे। तस्करों का भरोसा जीतने में हमें पूरा एक दिन लगा। इसके लिए जरूरी है कि या तो आपके पास किसी पैडलर का पूरा रिफरेंस हो, या फिर पैडलर साथ में हो। मैं भिलाई से एक ड्रग पैडलर को साथ लेकर गया था। उसने बताया कि एरिया लगभग 300 से ज्यादा डीलर सक्रिय हैं। जब से सिंथेटिक ड्रग चलन में आया है, नागपुर इसका हब बन गया है। यहां से ट्रांसपोर्टिंग आसान है। इस संबंध में पुलिस इंस्पेक्टर अनिरुद्ध पुरी से बात की तो कहा- मोमिनपुरा इलाके में हाल में कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत पर कार्रवाई जरुर करते हैं।
नागपुर से दुर्ग-रायपुर तक बैरियर नहीं
जब हम नागपुर से निकले तो दुर्ग तक पहुंचने में साढ़े चार घंटे लगे। इस दौरान सिर्फ पाटेकोहरा बैरियर पर बड़ी गाड़ियों की चेकिंग होती दिखी। इसका मतलब ये है कि ड्रग की तस्करी का महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ का पूरा रास्ता साफ है। पूरे रूट में सिर्फ ट्रकों की ही चेकिंग होती है। जब एनएच का ये हाल है तो महाराष्ट्र से आने के कई चोर रास्ते हैं। वहां भी कोई जांच नहीं होती है। इसलिए पूरा रूट सेफ है।
पैडलर पूरे राज्य में सक्रिय, बिलासपुर-दुर्ग बड़े स्पॉट, ड्रग किराना दुकान में भी उपलब्ध
इंजेक्टेबल ड्रग्स के बारे में 5 दिनों तक जानकारी जुटाने के बाद मैं 20 मार्च की दोपहर 2 प्रदेश के सबसे बड़े हॉट स्पॉट बिलासपुर के जरहाभाठा पहुंचा। बस्ती में हलचल कम थी, क्योंकि पुलिस नशे के विरुद्ध ऑपरेशन निजात चल रही है। लेकिन कुछ लोगों से बातचीत शुरू की, माल (ड्रग्स) के बारे में पूछा, तो जवाब मिला- रेट बढ़ गया है, 500, 700 लगेंगे। मैंने कहा- मुझे चाहिए। यह शख्स हमें एक डेलीनीड्स की छोटी सी दुकान तक ले गया। उसने हमसे 700 रुपए लिए, बोला- आप मुझे देखते रही, मैं लाकर देता हूं।
वो अगले 3 मिनट में सड़क किनारे की ही एक दुकान से कागज में लपेटकर लाया। इसमें 2 इंजेक्शन थे बुप्रेनोरफिन और एविल। मैं पैडलर्स से मिला, जो कहते हैं- माल बाहर से आता है। कौन भेजता है, नहीं पता। हम ऑर्डर देते हैं और डिलीवरी हो जाती है। इसी दौरान बाइक से 24-25 साल के 2 लड़के आए। मेरे सामने सिरिंज में ड्रग लोड की और लगा ली। जरहाभाठा जैसे बिलासपुर में 1-2 नहीं 34 हॉट स्पॉट हैं। प्रदेश के 4 जिलों में इनकी संख्या 56 है।
भिलाई में खुर्सीपार, कैंप और छावनी बड़ा हॉट स्पॉट
भिलाई प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा स्पॉट है। डॉक्टर मुनीश भगत के मुताबिक सुपेला अस्पताल में जितने केस आ रहे हैं उसमें 50 फीसदी से ज्यादा केस इसी एरिया के हैं। ये एरिया पहले से ही एचआईवी को लेकर हाई डेंस एरिया रहा है। अब इंजेक्टेबल ड्रग लेने के कारण इसकी डेंसिटी में और इजाफा हुआ है। यहां के युवा ग्रुप बनाकर ड्रग लेते हैं। भास्कर टीम ने जब ऐसे ग्रुप से पूछताछ की तो पता चला कि इस को किसी एक के लिए खरीदना संभव नहीं। चंदा करके पैसा इकट्ठा करते हैं। फिर एक साथ सेवन करते हैं।