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झीरमघाटी कांड के नए आयोग की सुनवाई पर रोक, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब, धरमलाल ने वैधानिकता को दी थी चुनौती

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ACN18.COM बिलासपुर / बस्तर के बहुचर्चित झीरमघाटी नक्सल कांड के नए न्यायिक जांच आयोग की सुनवाई और कार्यवाही पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भूपेश बघेल सरकार द्वारा नए आयोग के गठन करने की वैधानिकता को चुनौती दी। याचिकी की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत ने राज्य शासन और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई की तिथि 4 जुलाई तय की गई है।

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अपने वकील विवेक शर्मा के जरिये हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। बुधवार को इस मामले में अधिवक्ता विवेक शर्मा के साथ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने तर्क प्रस्तुत किया। न्यायालय को बताया गया कि झीरमघाटी कांड की जांच के लिए पूर्व में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित की थी। आयोग ने 8 साल तक सुनवाई की और जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी। नियम के तहत जांच रिपोर्ट 6 माह के भीतर विधानसभा में पेश कर सार्वजनिक किया जाना था, लेकिन सरकार ने ऐसा न कर नया आयोग गठित कर दिया। जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के नए आयोग द्वारा जांच भी शुरू कर दी गई है। याचिका में आयोग गठन की प्रक्रिया को अवैधानिक बताया गया है।

परिवर्तन यात्रा पर हुआ था नक्सली हमला

25 मई 2013 को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों ने हमला किया था। इस हमले में तत्कालीन PCC चीफ नंदकुमार पटेल उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित 25 से अधिक कांग्रेस नेताओं की हत्या की गई थी। झीरम घाटी की घटना को देश में अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक पार्टी पर हमला माना जाता है। इस हमले में कुल 29 लोगों की मौत हुई थी।

नवंबर-2021 को नए आयोग का हुआ गठन  

भाजपा की डॉ. रमन सिंह सरकार ने 28 मई 2013 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में झीरम घाटी हत्याकांड पर जांच आयोग का गठन किया था। 30 सितंबर 2021 को आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद 11 नवंबर 2021 को आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने राज्यपाल अनुसुईया उइके को रिपोर्ट सौंप दी थी। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की बजाए 11 नवंबर 2021 को ही एक नया दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर दिया।

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