Acn18.com/श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा-वृंदावन कान्हा के रंग में रंग गया है। हर ओर उत्साह, उमंग और भक्ति का माहौल है। राधा दामोदर मंदिर में 251 किलो पंचामृत से अभिषेक किया गया। वृंदावन के शाह जी मंदिर में 101 किलो पंचामृत से अभिषेक किया गया। गुरुवार तड़के श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित भगवत भवन में कार्यक्रमों की शुरुआत मंगला आरती के साथ की गई। इसके बाद सुबह 10 बजे शोभायात्रा निकाली गई। वहीं वृंदावन के राधा रमण मंदिर में भगवान कृष्ण का सवा मन यानी 50 किलो दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से अभिषेक किया गया
कान्हा के जन्मदिन पर ब्रज के मंदिरों को दुल्हन-सा सजाया है। प्रेम मंदिर, बांके बिहारी, रंगनाथ, द्वारकाधीश, राधा रमण, इस्कॉन समेत 25 मंदिर रोशनी से जगमगा रहे हैं। जन्मभूमि स्थित गर्भगृह में कारागार की तरह सजावट की गई है। जन्माष्टमी पर 25 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के मथुरा आने की संभावना है।
तस्वीरों में देखते है कान्हा की नगरी में जश्न…
जन्माष्टमी पर चंद्रयान-3 की झलक दिखाई देगी
रास्ते, चौराहे और घाटों पर भी भव्य सजावट की गई है। घर, गली-मोहल्ले में उत्सव है। हर शख्स प्रेम, आस्था और उत्साह में सराबोर है। खास बात ये कि इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रयान-3 की झलक दिखाई देगी। इसरो चीफ सोमनाथ के नाम पर सोमनाथ पुष्प बंगला बनाया जाएगा। साथ ही भगवान कृष्ण को प्रज्ञान प्रभास पोशाक पहनाई जाएगी। बुधवार शाम से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना शुरू हो गई। लाखों की संख्या में श्रद्धालु ठाकुर जी की एक झलक पाने को पहुंच रहे हैं।
1008 कमल पुष्पों से भगवान श्रीकृष्ण का किया जाएगा आह्वान
मेन आयोजन मथुरा के जन्म भूमि मंदिर में होगा। गुरुवार रात 11 बजे से महाअभिषेक का कार्यक्रम शुरू होगा। श्री कृष्ण जन्मस्थान पर सबसे पहले श्री गणेश पूजन, नव ग्रह पूजन होगा। 1008 कमल पुष्पों से भगवान श्रीकृष्ण का आह्वान किया जाएगा।
कामधेनु गाय के दूध से अभिषेक होगा
आज रात 12 बजे भगवान का प्राकट्य के साथ महाअभिषेक होगा। चांदी की कामधेनु गाय के दूध से अभिषेक होगा। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर ढोल-नगाड़े, झांझ, मजीरा, मृदंग और हरिनाम संकीर्तन किया जाएगा। अभिषेक के बाद भगवान की महाआरती होगी।
मंगला आरती से शुरू हुआ उत्सव
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मांगलिक कार्यक्रम की शुरुआत मंगला आरती से हुई। श्री कृष्ण जन्म स्थान पर भागवत भवन स्थित जुगल सरकार राधा कृष्ण की मंगला आरती की गई। दिव्य शहनाई और नगाड़ों के समुधुर ध्वनि के साथ भगवान की मंगला आरती की गई। इसके बाद भगवान के चरणों में प्रातः 10 बजे पुष्प अर्पित किए गए। भगवान के तुलसी दल से पुष्पर्चन, मंगलचर्न वेद मंत्रों के मध्य किया गया।
जन्म स्थान से निकाली गई भव्य शोभायात्रा
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर इस बार भव्य शोभायात्रा निकाली गई है। मंदिर के मुख्य द्वार से शुरू होकर यह शोभायात्रा पोतरा कुंड, महाविद्या कॉलोनी, गोविंद नगर थाना, रूपम सिनेमा, डीग गेट होते हुए मुख्य द्वार के लिए बढ़ रही है। इस शोभायात्रा में 250 कलाकार प्रस्तुति दे रहे हैं। शोभायात्रा में 20 से ज्यादा झांकी शामिल हैं।
द्वारिकाधीश में होंगे ये कार्यक्रम
पुस्तिमार्गीय संप्रदाय के द्वारिकाधीश मंदिर में कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह 6 बजे से हुई। यहां मंगला आरती के बाद पंचामृत अभिषेक किया गया। सुबह साढ़े 8 बजे भगवान के श्रृंगार के दर्शन हुए। इसके बाद शाम को साढ़े 7 बजे उद्यान के दर्शन होंगे। रात 10 बजे जागरण की झांकी होगी। रात 11 बजकर 45 मिनट पर पंचामृत अभिषेक के दर्शन होंगे।
वृंदावन में प्रकट होंगे नंदलाल
भगवान राधा कृष्ण की लीला भूमि वृंदावन के मंदिरों में अभिषेक हुआ। यहां के राधा रमण, राधा दामोदर और शाह बिहारी जी मंदिर में सुबह 10 बजे से अभिषेक शुरू हुआ। मान्यता है कि भगवान का जन्म मथुरा में हुआ। जबकि वृंदावन में वह प्रकट हुए थे। इसीलिए यहां भगवान का अभिषेक दिन में किया जाता है।
जन्माष्टमी पर बांके बिहारी बंदियों की बनाई पोशाक पहनेंगे
पूर्व संध्या पर श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और अन्य पदाधिकारी ढोल-नगाड़े के साथ ठाकुर जी को पहनाए जाने वाली खास पोशाक को अपने सिर पर टोकरी रखकर लेकर भागवत भवन पहुंचे। इस यात्रा कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां दी। पूरा मंदिर प्रांगण कान्हा के जयकारों से गूंज उठा।
यूपी के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति भी बांके बिहारी मंदिर पहुंचे। उन्होंने मंदिर प्रशासन को बांके बिहारी जी के लिए ड्रेस सौंपा। इसे बंदियों ने दिन रात मेहनत करके 15 दिन में तैयार किया है। रेशम के धागे से बनी यह ड्रेस 24 मीटर कपड़े से बनी है। जो हल्के पीले रंग की है। जन्माष्टमी पर इसे भगवान कृष्ण को पहनाया जाएगा।
ड्रेस को 11 पार्ट में किया गया तैयार
ड्रेस को 11 पार्ट में तैयार किया गया है। इसमें धोती, बगलबंदी, दुपट्टा, कमरबंद, प्रतिमा के पीछे लगने वाला पर्दा, भगवान के सिंहासन पर बिछने वाला कपड़ा शामिल है। जरी के कपड़े पर रेशम के धागे से बेहद आकर्षक कलाकारी की गई है। इस ड्रेस में मोर का रूप देने का प्रयास किया गया है।