चंद्रयान-3 ने लगभग दो-तिहाई दूरी तय की:5 अगस्त को शाम करीब 7 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा, 23 अगस्त को लैंडिंग

Acn18.com/चंद्रयान-3 ने लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है। यानी चंद्रमा का लगभग 66% सफर स्पेसक्राफ्ट पूरा कर चुका है। अब ये चंद्रमा की कक्षा में 5 अगस्त को शाम करीब 7 बजे प्रवेश करेगा। इसरो ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। वहीं 23 अगस्त को यान चंद्रमा पर लैंड करेगा।

वैज्ञानिकों ने 1 अगस्त को रात करीब 12 बजे चंद्रयान-3 को पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेजा था। इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन कहा जाता है। इससे पहले चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा था, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 km और सबसे ज्यादा दूरी 1,27,603 km थी।

ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए इंजन को कुछ देर के लिए चालू किया था
ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिकों ने चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया था। इंजन फायरिंग तब की गई जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 Km की दूरी पर था। इसरो ने कहा- चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है।

चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर कैसे भूकंप आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।

अब तक का चंद्रयान-3 का सफर…

  • 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36,500 km के ऑर्बिट में छोड़ा गया।
  • 15 जुलाई को पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 km x 173 km किया गया।
  • 17 जुलाई को दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 km x 226 km किया गया।
  • 18 जुलाई को तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 5,1400 km x 228 km किया गया।
  • 20 जुलाई को चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 Km किया गया।
  • 25 जुलाई को पांचवी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1.27,603 km x 236 km किया गया।
  • 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की बढ़ गया।