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आज है कार्तिक मास का कालाष्टमी व्रत, जानें पूजा मुहूर्त, मंत्र और विधि

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हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। कालाष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव भगवान शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से जीवन से दुख, दरिद्रता और परेशानी दूर हो जाती है। कार्तिक मास की कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर 2022 यानी आज रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक काल भैरव की पूजा करने से भय खत्म हो जाता है। शिव पुराण के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव के ही अंश हैं। काल भैरव की उत्पत्ति का मूल भगवान शिव को ही माना जाता है। मान्यता है कि कालाष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है। आइए जानते हैं कार्तिक कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।

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उदया तिथि के अनुसार कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को रखा जाएगा।   
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त 
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ: 17 अक्टूबर, सोमवार प्रातः 9: 29  से
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर, मंगलवार, प्रातः 11: 57 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार कालाष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर, सोमवार को रखा जाएगा।
कालाष्टमी पूजा विधि
  • कालाष्टमी के दिन प्रातः उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण कर कालाष्टमी व्रत का संकल्प लें।
  • किसी मंदिर में जाकर रात में काल भैरव की पूजा करें।
  • अगर संभव ना हो तो लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • अब काल भैरव को नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें।
  • अब चौमुखी दीपक जलाएं। धूप-दीप, कुमकुम या हल्दी से सभी देवताओं को तिलक लगाएं और आरती उतारें।
  • रात्रि के समय धूप, दीप, काली उड़द और सरसों के तेल से पूजा करने के बाद शिव चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें।
  • बटुक भैरव कवच का पाठ करें और  भैरव मंत्रों का 108 बार जाप करें।
  • काल भैरव की पूजा के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी या फिर कच्चा दूध पीलाएं।
कार्तिक मास में कालाष्टमी पूजा के दौरान भैरव मंत्रों का जाप अवश्य करें।
कालाष्टमी पूजा मंत्र 
कार्तिक मास में कालाष्टमी पूजा के दौरान भैरव मंत्रों का जाप अवश्य करें। मंत्र इस प्रकार हैं।
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