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अस्पताल में बिजली गुल, 4 बच्चों की मौत:अंबिकापुर में SNCU वार्ड में भर्ती थे; परिजन बोले-हॉस्पिटल की लापरवाही से गई जान

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acn18.com अंबिकापुर/अंबिकापुर के अस्पताल में 4 बच्चों की मौत हो गई है। ये यहां पर SNCU( स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) में भर्ती थे। इस बीच रविवार रात को यहां बिजली गुल हुई। अगले दिन सुबह पता चला है कि 4 बच्चों की जान चले गई है। वहीं पूरे मामले को लेकर बच्चों के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि अस्पताल की लापरवाही के कारण जान गई है।

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यह पूरा मामला मेडिकल कॉलेज स्थित मातृ शिशु अस्पताल का है। यहां बच्चों की हालत को देखते हुए विशेष देखभाल नवजात ईकाई उन्हें को भर्ती कराया गया था। मगर शनिवार रात को अस्पताल में आधे से पौन घंटे के लिए बिजली बंद हुई थी। इसे बीच सोमवार सुबह पता चला कि 4 बच्चों की जान चले गई है।

प्रबंधन बोला-बच्चों की हालत पहले से क्रिटिकल

उधर, ये खबर सुनते ही परिजनों का गुस्सा फूट गया। परिजन कहने लगे कि बिजली बंद हुई थी। इस वजह से बच्चों की जान गई है। अस्पताल ने भी लापरवाही की है। वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बिजली जरूर कुछ देर के लिए बंद हुई थी। मगर वैंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट चालू था। बच्चों की हालत पहले से क्रिटिकल थी।

सीनियर अधिकारी अस्पताल पहुंचे हुए हैं।
सीनियर अधिकारी अस्पताल पहुंचे हुए हैं।

सीनियर अधिकारी पहुंचे अस्पताल

इधर, इस बात की खबर लगते ही मौके पर अस्पताल के डीन रमणेश मूर्ति, कलेक्टर कुंदन कुमार और सीएमएचओ पीएस सिसोदिया समेत तमाम अधिकारी पहुंच गए हैं। फिलहाल मामले में जांच जारी है।

इस अस्पताल में पहले भी बच्चों की जान जा चुकी है।
इस अस्पताल में पहले भी बच्चों की जान जा चुकी है।

वहीं सालभर पहले अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज सह-जिला अस्पताल में भर्ती 4 नवजात बच्चों की 3 घंटे के भीतर मौत हो गई थी। सभी नवजात एसएनसीयू में भर्ती थे। इसके बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में सुबह हंगामा किया और सामने की सड़क जाम कर दी थी। परिजन ने बच्चों के इलाज में लापरवाही का आराेप लगाते हुए चिकित्सीय व्यवस्था पर सवाल उठाए थे।

जिन बच्चों की मौत हुई थी, उनकी उम्र 36 दिन से लेकर 2 दिन के बीच थी। इनमें से तीन का जन्म मेडिकल काॅलेज अस्पताल में हुआ था। वहीं चौथा नवजात उदयपुर सीएचसी से रेफर होकर मेडिकल काॅलेज अस्पताल में भर्ती हुआ था। नवजाताें की माैत पर परिजनाें के हंगामा करने से अस्पताल में अफरा-तफरी की स्थिति बन गई थी। वे बच्चों का शव गोद में लेकर विलाप कर रहे थे और प्रबंधन को कोस रहे थे।

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