Acn18.com/छत्तीसगढ़ के बस्तर में हो रही बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। कई गांवों का ब्लॉक और जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। रोज की जरूरतों को पूरा करने गांव वालों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। ऐसे में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी-नाले पार कर रहे हैं। दंतेवाड़ा के एक गांव में नदी उफान पर होने से गांव के कुछ युवक महिलाओं और बच्चों को अपने कांधे पर उठाकर नदी पार करवा रहे हैं। हालांकि, यह खतरा उठाने के लिए प्रति व्यक्ति 30 रुपए भी ले रहे हैं। जिसका वीडियो भी सामने आया है।
दरअसल, जिले के कुआकोंडा के अंदरूनी इलाके से होकर बहने वाली मलगेर नदी उफान पर है। जिससे रेवाली, बुरगुम, गोंडेरास और चिरमुर गांव का संपर्क जिला और ब्लॉक मुख्यालय से कट गया है। ऐसे में रोज की जरूरतों को पूरा करने के लिए इलाके के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करने मजबूर हैं। अब इन गांव के कुछ युवक जो तैराकी में माहिर हैं वे बच्चों और महिलाओं को अपने कांधे में उठाकर तैरकर उफनती नदी को पार कर रहे हैं।
नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाने के लिए तैराक 30 रुपए प्रति व्यक्ति भी ले रहे हैं। जिससे उन्हें कमाई भी हो रही है और लोग नदी पार भी कर पा रहे हैं। उसी इलाके के कुछ गांव वालों ने बताया कि, ऐसा करना गलत है। क्योंकि, खुद के साथ दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाली जा रही है। इधर, इस तरह से नदी पार करने के संबंध में अफसरों को कोई जानकारी नहीं है। अंदरूनी और पहुंवविहीन इलाका होने की वजह से कोई भी जिम्मेदार अब तक मौके पर नहीं पहुंचा है।
शिक्षक भी कर रहे नदी पार
नदी पार स्थित गांव की स्कूलों में पहुंचने के लिए शिक्षक भी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं। बुरगुम के बोजापारा प्राथमिक शाला के शिक्षक जोगा कश्यप नदी को पारकर साथी शिक्षकों के साथ पढ़ाने जाते हैं। उन्होंने बताया कि, नदी पारकर लगभग 4 किमी पैदल चलकर प्राथमिक शाला पहुंचते हैं। मजबूरी भी है और जरूरी भी है। मजबूरी इसलिए की नदी पर पुल नहीं। जरूरी इसलिए क्योंकि बच्चे पढ़ाई से वंचित न हो जाएं।
नक्सलियों ने तोड़ दिया था पुल
बुरगुम, रेवाली, गोंडेरास यह इलाका नक्सलियों के कब्जे में हैं। इस इलाके से होकर बहने वाली मलगेर नदी पर पुल बनाया गया था। लेकिन, नक्सलियों ने पुल को तोड़ दिया था। जिसके बाद से प्रशासन ने दोबारा पुल बनाने जहमत नहीं उठाई। इस इलाके में जितनी भी कच्ची सड़कें थी नक्सलियों ने सभी सड़क को काट रखा है। ऐसे में इलाके के ग्रामीणों को काफी मुश्किलें होती हैं।