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अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर की भव्यता देख आप भी हो जाएंगे कायल, वास्तुकला में दिख रही UAE की झलक

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acn18.com अबू धाबी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त अरब अमीरत (UAE) में नवनिर्मित ऐतिहासिक श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) का उद्घाटन करेंगे। इसी के साथ ही 10 फरवरी को मंदिर में शुरू हुए ‘सद्भावना महोत्सव’ का समापन हो जाएगा। इससे पहले ही बुधवार को मंदिर में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा हुई।

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हिंदू मंदिर को तकरीबन 27 एकड़ जमीन पर लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। अपनी वास्तुकला और भव्यता की वजह से पहचान बनाने वाले हिंदू मंदिर के रोचक तथ्यों के बारे में आप नहीं जानते होंगे। ऐसे में हम आपको मंदिर के शिखर से लेकर तल तक की हर एक जानकारी से रूबरू कराएंगे।

हिंदू मंदिर को तकरीबन 27 एकड़ जमीन पर लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। अपनी वास्तुकला और भव्यता की वजह से पहचान बनाने वाले हिंदू मंदिर के रोचक तथ्यों के बारे में आप नहीं जानते होंगे। ऐसे में हम आपको मंदिर के शिखर से लेकर तल तक की हर एक जानकारी से रूबरू कराएंगे।

हिंदू मंदिर के रोचक तथ्य

यूएई के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात शिखर, ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज हिंदू मंदिर में मेजबान देश की झलक पेश कर रहे हैं। पत्थरों से इन मूर्तियों को निर्मित किया गया है, जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।

यूएई ने हिंदू मंदिर बनाने के लिए जमीन को दान में दिया है। मंदिर प्राधिकारियों के मुताबिक, मंदिर में बनाए गए सात शिखर यूएई के सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मंदिर के भव्य शिखर हैं खास

बकौल एजेंसी, बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने बताया कि सात शिखरों पर भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण, भगवान स्वामीनारायण, तिरुपति बालाजी और भगवान अयप्पा की मूर्तियां हैं। सात शिखर यूएई के सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा,

सात शिखर सात अहम देवताओं को समर्पित हैं। ये शिखर संस्कृतियों और धर्मों के परस्पर संबंध को रेखांकित करते हैं। आम तौर पर हमारे मंदिरों में या तो एक शिखर होता है या तीन या पांच शिखर होते हैं, लेकिन यहां सात शिखर सात अमीरात की एकता के प्रति हमारा आभार व्यक्त करते हैं।

बकौल स्वामी ब्रह्मविहरिदास, इन शिखरों का उद्देश्य बहुसांस्कृतिक परिदृश्य में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है। कुल 108 फुट ऊंचा यह मंदिर क्षेत्र में विविध समुदायों के सांस्कृतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

मेजबान देश को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए मंदिर में भारतीय पौराणिक कथाओं में अहम स्थान रखने वाले हाथी, ऊंट और शेर के साथ-साथ यूएई के राष्ट्रीय पक्षी बाज को भी शामिल किया गया है।

धीरज का प्रतीक है ऊंट

पत्थरों पर नक्काशी करने वाले शिल्पकार सोमसिंह ने कहा कि दृढ़ता, प्रतिबद्धता और धीरज के प्रतीक ऊंट को यूएई के परिदृश्य से प्रेरणा लेते हुए मंदिर की नक्काशी में उकेरा गया है।

मंदिर में इन देशों की सभ्यताओं को भी मिली जगह

मंदिर में रामायण और महाभारत सहित भारत की 15 कहानियों के अलावा माया (मैक्सिको की महत्वपूर्ण सभ्यता), एज्टेक (मध्य अमेरिकी सभ्यता), मिस्र, अरबी, यूरोपीय, चीनी और अफ्रीकी सभ्यताओं की कहानियों को भी दर्शाया गया है। मंदिर की बाहरी दीवारों को भारत के बलुआ पत्थर का इस्तेमाल करके बनाया गया, जबकि आंतरिक दीवारें सफेद इतालवी संगमरमर से बनाई गई हैं।

मंदिर में दो घुमट (गुंबद), 12 समरन (गुंबद जैसी संरचनाएं) और 402 स्तंभ शामिल हैं। ‘शांति का गुंबद’ और ‘सौहार्द्र का गुंबद’ उन दो घुमट में शामिल हैं, जो मंदिर की सुंदरता को और भी ज्यादा निखार रहे हैं।

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