acn18.com नई दिल्ली. आज नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन में तैयारी पूरी कर ली गयी है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस भवन को बनाने के लिए वहां तक ट्रेन चलाने की जरूरत पड़ी थी. इसके लिए स्पेशल रेलवे ट्रैक बिछाया गया था, जो कनाट प्लेट और संसद भवन होकर गया था. यहां जानिए इसकी वजह क्या थी?
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार बताते हैं कि रायसीना हिल्स में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और नार्थ व साउथ ब्लाक के निर्माण में लाल और बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है. ये पत्थर राजस्थान से लाए गए थे. संसद का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था. उस समय नई दिल्ली स्टेशन नहीं था. पुरानी दिल्ली से इन पत्थरों को रायसीना हिल्स लाया जाता था. इस तरह ट्रांसपोर्ट करने में काफी समय लग रहा था.
तत्कालीन अधिकारियों ने ट्रेन से पत्थरों को रायसीना हिल्स पहुंचाने का फैसला किया. इसके लिए सदर बाजार से (पुरानी दिल्ली की ट्रेनें यहीं से गुजरती थीं) रायसीना हिल्स तक रेलवे ट्रैक बिछाने का फैसला लिया गया और जल्द ही ट्रैक बिछा कर गुड्स ट्रेन का संचालन निर्माणाधीन राष्ट्रपति भवन तक शुरू किया गया.
यह ट्रैक मौजूदा नई( दिल्ली स्टेशन, कनाट प्लेस होते हुए संसद भवन के सामने तक बनाया गया. ट्रेन संसद भवन के सामने से रायसीना हिल्स तक जाती थी, वहां से वापस लौट आती थी. निर्माण कार्य के बाद इस ट्रैक को हटाने का फैसला लिया गया. क्योंकि यह ट्रैक कनाट प्लेस होकर जाता था. उस समय कनाट प्लेस नहीं बना था. इसका भी निर्माण शुरू किया जाना था.
नई दिल्ली स्टेशन से एक ट्रैक इस्टेट एंट्री रोड की ओर जा रहा है और कनॉट प्लेट के बाहरी सर्कल से पहले तक बना है. उत्तर रेलवे के जनसंपर्क कार्यालय के ठीक बगल में यह रेलवे ट्रैक देखा जा सकता है. यहां तक कई इंजन आते हैं और कनाट प्लेस की बाहरी दीवार से लौट जाते हैं.