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दिवाली क्यों मनाते हैं? जानिए इस पर्व से जुड़ी रोचक कथाएं

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acn18.com / हिंदू धर्म में दीपावली पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह वही दिन है जिस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों के बाद वनवास से अयोध्या नगरी अपने घर लौटे थे। यह पर्व न केवल भगवान श्री राम के आने की खुशी में मनाया जाता है बल्कि इसे अंधकार पर हुए प्रकाश की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन सभी देशवासी अपने घरों को सुंदर रूप से सजाते हैं और माता लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा करते हैं। शास्त्रों में यह भी बताया गया है इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं दिवाली पर से जुड़े कुछ रोचक कथाएं। साथ ही जानिए क्यों मनाते हैं दिवाली पर्व?

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दिवाली 2022 कब है? 

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022, सोमवार के दिन पड़ रही है. इसलिए दिवाली पर्व भी 24 अक्टूबर के दिन ही मनाया जाएगा. इस दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर के दिन 8 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.

क्यों मनाते हैं दिवाली का त्यौहार? 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम 14 वर्षों के बाद वनवास की समय अवधि पूर्ण करके अपनी जन्मभूमि अयोध्या नगरी लौटे थे। इस उपलक्ष में संपूर्ण अयोध्या वासियों ने दीपोत्सव का आयोजन कर भगवान श्रीराम का स्वागत किया था। तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साथ ही घरों के साथ-साथ आसपास की जगहों को भी रोशनी से सजाया जाता है।

महाभारत काल में दिवाली क्यों मनाई गई थी?

हिंदू धर्म में प्रख्यात ग्रंथ महाभारत में यह बताया गया है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को पांडव 13 वर्षों का वनवास पूरा कर अपने घर लौटे थे। बता दें कि कौरवों ने उन्हें शतरंज में हराकर 13 वर्षों तक वनवास का दंड दिया था। जब पांडव वापस अपने घर लौट कर आए थे तब उनके घर आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपोत्सव के साथ उनका स्वागत किया था। मान्यता है कि तब से ही दिवाली पर्व मनाया जाता है।

दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है? 

शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे। तब समुद्र मंथन से 14 रत्नों की उत्पत्ति हुई थी जिनमें से एक माता लक्ष्मी भी थीं। मान्यता है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव सभी की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

से पहले से पहले छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है?

शास्त्रों में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि जब नरकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में अपने आतंक से हाहाकार मचा दिया था। तब सभी देवी-देवता व ऋषि मुनि उसके अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी विजय के उपलक्ष में 2 दिन तक खुशियां मनाई गई थी। जिसे नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और दिवाली के रूप में जाना जाता है।

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
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