भगवान शिव का निवास स्थान कहे जाने वाले कैलाश पर्वत के करीब दो झील हैं. पहली- कैलाश मानसरोवर और दूसरी- राक्षस झील या राक्षस ताल (Rakshastal). पुराणों और तमाम ग्रंथों में मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा के मन से उत्पन्न बताया गया है. तो दूसरी तरफ राक्षस झील उतनी ही रहस्यमय है. जैसा कि नाम से पता चलता है, राक्षस ताल का शाब्दिक अर्थ है “राक्षसों की झील” या ” शैतान की झील “.
राक्षस ताल एक अर्धचंद्राकार खारे पानी की झील है. अर्धचंद्राकार आकार अंधेरे का प्रतीक है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह वही स्थान है, जहां राक्षस राजा रावण ने भगवान शिव की तपस्या की और उनकी आराधना की. राक्षस ताल का निर्माण कब और कैसे हुआ, इस बारे में अलग-अलग थ्योरी हैं. कई कहानियां भी जुड़ी हैं.
कैसे बनी ये झील?
एक कहानी है कि राक्षस ताल का निर्माण खुद रावण ने किया, जो भगवान शंकर के अनन्य उपासक थे. रावण अपनी इच्छा पूरी करने के लिए कैलाश पर्वत गया. कैलाश जाने से पहले राक्षस ताल में स्नान किया और वहीं ध्यान लगाया. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण ने राक्षस ताल में डुबकी लगाई तो झील आसुरी शक्तियों के कब्जे में आ गई. नकारात्मकता (निगेटिविटी) से भर गई.
एक सेकंड भी जिंदा नहीं रहती मछली
राक्षस झील (Rakshastal) का पानी बहुत ज्यादा खारा है. इतना खारा कि इसके अंदर मछली या कोई दूसरा जानवर सर्वाइव नहीं कर सकता है. झील का पानी ग्रे कलर का दिखता है. स्थानीय लोग दावा करते हैं कि हर कुछ महीने में पानी का रंग बदल जाता है.
पास भी नहीं जाते तिब्बती
तिब्बत के स्थानीय निवासी और कई ग्रंथों में राक्षस ताल से जुड़ा एक दूसरा दावा मिलता है. इसके मुताबिक रावण चाहता था कि भगवान शिव लंका में निवास करें. उन्हें प्रसन्न करने के लिए राक्षस ताल के किनारे गहन ध्यान लगाया और भगवान शिव की पूजा की.
राक्षस ताल, कैलाश पर्वत पश्चिम में करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ताल के आसपास 4 द्वीप हैं – डोला, लाचतो, तोपसरमा और दोशर्बा. राक्षस ताल को तिब्बती भाषा में लांगगर चो या ल्हानाग त्सो के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है “जहर की काली झील”. तिब्बती मानते हैं कि इसका पानी शापित है. इसे छूने से भी बड़ा नुकसान हो सकता है. इसलिये इसके आसपास भी नहीं जाते.
राक्षस ताल के ठीक करीब एक छोटी नदी भी है. जिसे गंगचु नदी (Gangachu River) के नाम से जाना जाता है. यह नदी मानसरोवर झील और राक्षस ताल को जोड़ती है. ऐसा माना जाता है कि इस नदी को ऋषियों द्वारा मानसरोवर से पवित्र जल ले जाने के लिए बनाया गया था.
क्या विषैला है इसका पानी?
राक्षस ताल का पानी खारा होने के साथ-साथ विषैला भी है. विशेषों के मुताबिक इसमें स्नान करने अथवा इसका पानी पीने से बहुत नुकसान हो सकता है. जान तक जा सकती है. triptotemples के मुताबिक कई ऐसे केस हैं, जिसमें राक्षस ताल में स्नान करने वाले को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा.
किसी को पास जाने की इजाजत नहीं
फिलहाल चीन सरकार ने राक्षस ताल के इर्द गिर्द बाड़ लगा रखी है और राक्षस ताल के क्षेत्र को घेर रखा है. किसी को पास जाने की इजाजत नहीं है. दूर से ही झील को देख सकते हैं.