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श्रीलंका में बदहाली का ये आलम, संपत्ति बेचने पर भी लोगों को भरपेट खाना नसीब नहीं

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acn18.com श्रीलंका/श्रीलंका में आर्थिक संकट से लोगों की मुसीबत बढ़ती ही जा रही है। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग भोजन जुटाने के लिए अपनी उन जायदाद को बेच रहे हैं, जो उन्होंने अपने बेहतर समय में खरीदी थीं। फिर भी सबको भरपेट नसीब नहीं हो पा रहा है। यह दर्दनाक हकीकत रोम स्थित संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की एक ताजा रिपोर्ट से सामने आई है। इस संस्था ने कहा है कि महीनों से जारी मुद्रा संकट ने श्रीलंका की आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से को गरीबी में धकेल दिया है।

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वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्लूईपी) के मुताबिक, श्रीलंका में 30 फीसदी परिवार खाद्य असुरक्षा का शिकार हो गए हैं। बाकी आबादी की हालत भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। इस संस्था ने अपनी रिपोर्ट इसी वर्ष अक्टूबर में देशभर में किए व्यापक सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की है। रिपोर्ट में डब्लूईपी ने कहा है कि दस में सात से ज्यादा परिवार खाना बचाने के लिए कोई ना कोई तरीका अपना रहे हैं। मसलन, वे अपनी पसंद का खाना कम खा रहे हैं। यह चिंताजनक ट्रेंड सबसे पहले जून में नजर आता था, जो तब से लगातार जारी है।

80 फीसदी परिवार संपत्ति बेचने को मजबूर
सर्वे के दौरान सामने आया कि 80 फीसदी परिवार अपनी कोई ना कोई संपत्ति बेचने को मजबूर हो रहे हैं। इस मामले में हालत जून से अधिक बदतर हो गई है। डब्लूईएफ ने अपना पिछला सर्वे जून में किया था।

अर्थशास्त्रियों ने इस चिंताजनक स्थिति के लिए पिछली सरकार की नीतियों को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के शासनकाल में श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने दो वर्ष तक अंधाधुंध मुद्रा (श्रीलंकाई रुपये) की छपाई की। नतीजा यह हुआ कि इस वर्ष अमेरिकी डॉलर की तुलना में श्रीलंकाई रुपये की कीमत धड़ाम हो गई। इस साल के आरंभ में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 200 श्रीलंकाई रुपये थी, जो अब 360 रुपये से अधिक है

श्रीलंका का सेंट्रल बैंक गैर-जिम्मेदार बैंकों में शामिल
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में श्रीलंका का सेंट्रल बैंक दुनिया के सबसे गैर-जिम्मेदार साबित हुए दस बैंकों में शामिल हो चुका है। उसके अलावा लेबनान, जिम्बाब्वे, तुर्किये, वेनेजुएला और अर्जेंटीना के सेंट्रल बैंकों ने भी ऐसी गैर जिम्मेदार नीतियां अपनाईं, जिनसे उनकी मुद्राओं की कीमत तेजी से गिरी। इसके परिणामस्वरूप उन देशों को अभूतपूर्व महंगाई और असामान्य गरीबी का सामना करना पड़ा। ईरान के सेंट्रल बैंक को भी विश्व बैंक ने अपनी इस सूची में शामिल किया है।

इस सबसे गैर-जिम्मेदार सेंट्रल बैंकों की विश्व बैंक की सूची में श्रीलंका के सेंट्रल बैंक को आठवें नंबर पर रखा गया है। हाल में सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने अपनी नीति बदली है। उसने ब्याज दरें बढ़ाई हैं और मुद्रा की छपाई रोक दी है। इससे मुद्रास्फीति पर लगाम लगी है। लेकिन जो संकट पहले खड़ा हो चुका है, उसका समाधान का रास्ता अभी निकलता नहीं दिख रहा है।

श्रीलंका की कृषि संकटग्रस्त
विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि श्रीलंका की कृषि भी संकटग्रस्त है। इसकी शुरुआत पूर्व राजपक्षे सरकार के रासायनिक खादों के आयात पर अचान रोक लगा देने से हुई थी। कम फसल होने का असर पशुपालन और मुर्गीपालन पर भी पड़ा है। इन सारे पहलुओं ने श्रीलंका की आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से के सामने पेट भरने की समस्या खड़ी कर रखी है।

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