spot_img

यह अल-नीनो जिससे मानसून लेट:छत्तीसगढ़ में अल-नीनो या अन्य मौसमी घटना वाले साल बारिश कम, ऐसा नहीं तो ज्यादा वर्षा

Must Read

Acn18.com/मौसमी घटना अल-नीनो के असर से देश में ज्यादा गर्मी पड़ने और बारिश कम होने की आशंका जताई जा रही है। उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी तथा मध्य भारत में इसके असर की ज्यादा आशंका है। छत्तीसगढ़ में इस साल जून में पड़ रही भीषण गर्मी को इस मौसमी घटना से जोड़कर देखा जा रहा है। आमतौर पर 10 से 15 जून तक मानसून पहुंच जाता है और मानसून आने से दो-तीन दिन पहले प्री-मानसून की बारिश शुरू हो जाती है। इसलिए जून में ज्यादा गर्मी महसूस नहीं की जाती। इस वर्ष मानसून लेट हुआ ही है और गर्मी भी तेज पड़ने लगी है। इसका असर आने वाले मानसून पर होगा। पिछले एक दशक में जब-जब इस तरह की कोई वैश्विक मौसमी घटना घटित हुई है तब-तब प्रदेश में बारिश घटी है।

- Advertisement -

न्यूट्रल वर्षों में छत्तीसगढ़ में औसत से 100 मिमी या उससे अधिक वर्षा हुई है।

वैश्विक स्तर पर मानसून और गर्मी को प्रभावित करने वाले अल-नीनो और ला-नीना का छत्तीसगढ़ में पिछले करीब एक दशक में नकारात्मक प्रभाव रहा है। जब-जब ये घटनाएं प्रभावी रहीं हैं, उस वर्ष प्रदेश में औसत से थोड़ी कम बारिश हुई है। इसके विपरीत जिन वर्षों में दोनों में से कोई भी घटना नहीं घटी, उन सालों में राज्य में मानसून के दौरान जमकर बारिश हुई है। इन दोनों सिस्टम का असर छत्तीसगढ़ पर हुआ है, लेकिन इनकी वजह से कभी भी पूरे प्रदेश में सूखे या अत्यधिक वर्षा (अतिवृष्टि) नहीं हुई है। इसकी एक वजह प्रदेश की भौगोलिक स्थिति है।

बंगाल की खाड़ी से उठने वाली नमी वाली हवा प्रदेश में पहुंच ही जाती है। इससे मानसून के दौरान जरूरत का पानी मिल जाता है। इस साल अल-नीनो इफेक्ट है। इसलिए जून थोड़ा ज्यादा गर्म है और मानसून भी लेट हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अल-नीनो की वजह से प्रदेश में मानसून प्रभावित होगा। छत्तीसगढ़ में भी पिछले एक दशक के आकंड़ों का विश्लेषण किया गया। निष्कर्ष निकला कि जब-जब ये घटनाएं घटी हैं, उन सालों में वर्षा कम हुई है।

बारिश 1000 मिमी तक ही
प्रदेश में मानसून के दौरान यानी जून से सितंबर तक औसत 1142.4 मिमी औसत बारिश होती है। जून में आमतौर पर 10 तारीख के बाद ही मानसून पहुंचता है। इस महीने के 15 से 20 दिन में औसत 175 मिमी बारिश होती है। यह मानसून के कोटे का 15 फीसदी के आसपास होता है। 65 फीसदी से ज्यादा बारिश जुलाई और अगस्त में होती है। 20 फीसदी के आसपास बारिश सितंबर में होती है। अल-नीनो इफेक्ट से यदि राज्य में बारिश पर असर पड़ा भी तो पिछले अनुभवों के आधार पर 900 से 1000 मिमी के बीच ही बारिश होने का अनुमान है।

अल-नीनो का क्या असर
केंद्रीय मौसम विभाग ने 2023 में अल-नीनो के प्रभाव की चेतावनी दी है। अगर अल नीनो का प्रभाव पड़ता है तो इस साल लोगों को ज्यादा गर्मी झेलनी पड़ सकती है। भारत में अल-नीनो के कारण सूखे की स्थिति पैदा होती है। कई राज्यों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। छत्तीसगढ़ में भी इसका सीधा असर होता है।

पेरू तट गर्म होने से

प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है। आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इस बदलाव की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है।

डाॅ. एमएल साहू, डिप्टी डायरेक्टर मौसम
छत्तीसगढ़ में सूखा या अति बारिश कम ही

अल नीनो और ला नीना का असर वैश्विक है। जाहिर है, छत्तीसगढ़ पर भी असर होगा ही, लेकिन मानसून को प्रभावित करने वाले कई और कारक भी होते हैं। भौगोलिक स्थिति भी मानसून की वर्षा को प्रभावित करती है। छत्तीसगढ़ में औसत बारिश हो जाती है। सूखे या अतिवृष्टि जैसी स्थिति रेयर आती है। इस साल चक्रवात से मानसून थोड़ा लेट हुआ है।

377FansLike
57FollowersFollow
377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

एर्नाकुलम से आ रही एक्सप्रेस के वातानुकूलित कोच में लगी आग , यात्रियों में हड़बड़ाहट, किया गया नियंत्रण

acn18.com/  । रेल गाड़ियों में आए दिन आग लगने के मामले सामने आ रहे हैं। गुरुवार को दोपहर एर्नाकुलम...

More Articles Like This

- Advertisement -