भरत सिंह चौहान जांजगीर जिले के मजदूर लापरवाही पूर्वक दीगर राज्य जा रहे हैं वहां फंसने के बाद उन्हें शासन की याद आती है, जबकि शासन प्रशासन ने इन मजदूरों के लिए कई योजनाएं लागू की है, जिससे उन्हें संकट परिस्थितियों आसानी से रेस्क्यू किया जा सके. इसके बावजूद भी मजदूर इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा रहे हैं।
सरकार द्वारा रोजगार के अवसर उवलब्ध कराने के बाद भी बड़ी संख्या में मजदूर दीगर राज्यों का रुख कर रहे है,जहां फंसने के बद उन्हें शासन प्रशासन की याद आती है। ऐसा ही एक नजरा चांपा रेलवे स्टेशन में देखने को मिला जहां बड़ी संख्या में मजदूर दीगर राज्य रोजी मजदूरी के लिए जा रहे थे जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने स्वयं की मर्जी से जाना बताया। उन्होंने अपना पंजीयन नहीं कराया था जब उनसे पूछा गया कि पंजीयन क्यों नहीं कराया गया है तब वे इससे अपने आपको अनभिज्ञ बताए। उल्टे मीडिया पर अपना गुस्सा निकालने लगे। छत्तीसगढ़ ईंट भट्ठा मजदूर संघ को जानकारी मिली की बड़ी संख्या में मजदूर चाम्पा रेलवे स्टेशन में ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. तब संगठन के पदाधिकारी उनके पास पहुंचे और ग्राम पंचायत में जानकारी देने की जानकारी लिए, लेकिन उन्होंने गांव से बाहर जाने की जानकारी किसी को नहीं दी थी. संगठन ने उन्हें कहा,कि मजदूर अपना पंजीयन करा ले और जहां जा रहे हैं वहां का पता बता दें, लेकिन उन्होंने खुद कोे दिहाड़ी मजदूर का हवाला देते हुए कहा,कि वे प्रतिवर्ष इसी तरह पलायन करते हैं. मौके मौजूद सभी मजदूरों ने ठेकेदार का नाम नहीं लिया, जिसकी वजह से श्रम अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाए।
जांजगीर जिले से प्रति वर्ष बड़ी संख्या में मजदूर दीगर राज्यों में पलायन करते हैं, जिन्हें ठेकेदारों द्वारा ले जाया जाता है. ठेकेदार मजदूरों को वहां छोड़कर वापस घर आ जाते है, जिनके बाद अधिकांश मामलों में मजदूरों से जबरन काम कराया जाता हैं और उन्हें काम का सही दाम भी नहीं दिया जाता है. जिसके बाद वे ठेकेदार पर पैसे लेने का आरोप लगते हैं. फिर शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगते हैं।