acn18.com कोरबा/बदलते दौर में दीपोत्सव का पर्व भी पूरी तरह से बदल गया है। पहले जहां मिट्टी के दीयों से रौशनी फैलाई जाती थी वहीं अब प्लास्टिक और चाईनिज दीयों ने इनका स्थान ले लिया है। झालर और बिजली की लाईटें भी दीयों के कारोबार को काफी प्रभावित किया है,बावजूद इसके कुम्हार अपनी परंपरा के अनुसार दियों का निर्माण करने में जुट गए है।
हर साल की तरह इस साल भी कोरबा में दीपोत्सव का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाया जाएगा। रौशनी के इस पर्व को मनाए जाने को लेकर अभी से ही तैयारियां शुरु हो गई है।दिवाली पर मिट्टी से बने दीयों का खास महत्व होता है। इन्हीं दियों के माध्यम से घर के बाहर रौशनी फैलाई जाती है लेकिन आज के दौर में इनका चलन काफी कम हो गया है इनके स्थान पर मिट्टी और प्लास्टिक के दीयों ने ले लिया बावजूद इसके कुम्हार वर्ग अपने व्यवसाय में जुटे हुए हैं और बेहतर कारोबार की आस में दीयों का निर्माण करने में लगे हुए है।
उन्हेंने बताया,कि बाजार में प्रतिस्पर्धा से बढ़ने उनका कारोबार काफी प्रभावित हुआ है। हालांकि आस्थावान लोग आज भी दिपावली पर मिट्टी के दीये का ही उपयोग करते है।
25 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। कोरोना के दो वर्षों के कारण सभी पर्वों की तरह दिपावली का पर्व भी अधूरा सा था लेकिन इस वर्ष पूरे उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया जाएगा।