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ताजमहल: ऐसे दिखते हैं वो कमरे, जिन्हें खुलवाने को दायर हुई याचिका, 1972 से पर्यटकों के लिए हैं बंद

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ACN18.COM आगरा I ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की गई है। तहखाने के जिन कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है, वह पर्यटकों के लिए 1972 में ही बंद किए जा चुके हैं।

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आखिरी बार 16 साल पहले वर्ष 2006 में तत्कालीन संरक्षण सहायक मुनज्जर अली ने तहखाने के कमरों का संरक्षण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की सिफारिश पर किया था। तब यहां दीवारों में सीलन, दरारें भरने के लिए प्वाइंटिंग और प्लास्टर का काम कराया गया। तहखाने के कमरों के लिए रास्ता चमेली फर्श पर मेहमानखाने की ओर और दूसरा मस्जिद की ओर है, जिस पर अब लोहे का जाल डालकर बंद कर दिया गया है। इन्हीं कमरों में यमुना किनारे की ओर से पहुंचा जा सकता था, जो उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी बुर्ज के पास बने हुए थे। लकड़ी के दरवाजे हटाकर ईंटों की दीवार लगा दी गई है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. डी दयालन की पुस्तक ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन में बताया गया है कि 1976-77 में मुख्य गुंबद के नीचे तहखाने में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था। कई जगह सीलन आ गई थी। भूमिगत कक्षों में तथा रास्ते की मरम्मत की गई, जिसमें पुराना क्षतिग्रस्त प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर किया गया। गहरी दरारों को मोर्टार से भरा गया था।

गैलरी की छत पर है पेंटिंग

वर्ष 1652 में औरंगजेब ने ताजमहल के तहखाना ए कुर्सी हफ्तादार यानी सात आर्च का तहखाना का जिक्र किया था। यह तहखाना ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड में सबसे पहले 1874 में जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर की रिपोर्ट में आया, जिन्होंने इसे देखने के बाद सबसे पहले नक्शा बनाया। यह ब्यौरा आस्ट्रियाई इतिहासकार ईवा कोच ने अपनी पुस्तक रिवरफ्रंट गार्डन ऑफ आगरा में दिया है। उन्होंने ताजमहल के तहखाने के लिए लिखा है कि चमेली फर्श से यमुना किनारे की दो मीनारों के पास से इनका रास्ता है।

लोहे की जालियों से इस रास्ते को बंद किया गया है। नीचे अंधेरा है। पर्यटकों में इस रास्ते को लेकर यह चर्चा है कि इनका रास्ता आगरा किला तक पहुंचता है, लेकिन इन सीढ़ियों का उपयोग शाहजहां नदी के रास्ते ताजमहल में आने के लिए करते थे। नीचे जाने पर गैलरी है, जिसकी छत पर पेंटिंग है। तीन साइड में यहां गैलरी है, जिसमें सात बड़े चैंबर है, इसके साथ ही छह चौकोर कमरे हैं, जबकि चार अष्टकोणीय कमरे हैं। एक आयताकार चैंबर आपस में इनसे जुड़ा है।

तहखाने से भी है मीनारों का रास्ता

ताजमहल के तहखाने में कई रहस्य भी दफन हैं। ताजमहल की मुख्य गुम्मद के चारों ओर बनी मीनारों का रास्ता तहखाने से भी है। वर्तमान में तहखाने में स्थित मीनार का दरवाजा बंद है। 20 कमरों के आगे मुख्य गुंबद के ठीक नीचे का हिस्सा ईंटों से बंद किया गया है। लाल पत्थर की चौखट कभी यहां थी, जिन्हें ईटों से बंद कर दिया गया। इसके अंदर कमरे हैं या कुछ और, इसका ब्यौरा एएसआई अधिकारियों के पास भी नहीं है।

पूर्व संरक्षण सहायक ताजमहल डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि ताजमहल ही नहीं, बल्कि एत्माद्दौला, रामबाग समेत यमुना किनारे के जो स्मारक मुगलिया दौर में बने हैं, उन सभी में ऐसे तहखाने और कमरे बने हैं। यह लोड शेयरिंग करने के काम आते थे ताकि स्मारक का भारी वजन आर्च और डाट के खोखले चैंबर के जरिए आपस में बंट सके।

एएसआई के रिटायर्ड इंजीनियर डॉ. एमसी शर्मा ने कहा कि ताज की मीनारों से आत्महत्या करने और चमेली फर्श के नीचे जाने में घटनाओं के कारण सुरक्षा कारणों से इन्हें बंद कर दिया गया। तहखाने का संरक्षण करने में सैकड़ों मजदूर लगे हैं। समय-समय पर सफाई और मरम्मत की गई है। एक-एक हिस्से की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गई थी।

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