Acn18.com/गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया, PM नरेंद्न मोदी 28 मई को दोपहर 12 बजे नए संसद भवन का उद्धाटन करेंगे। इस दौरान संसद में सेंगोल को भी स्थापित किया जाएगा। सेंगोल एक प्रकार का सत्ता हस्तांरण का सिंबल है। सेंगोल को संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा, आजादी के वक्त तत्कालीन PM जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजों से इसे लिया था। यह तमिलनाडु से मंगवाया गया था। अभी यह प्रयागराज के एक म्यूजियम में रखा है। यह आजादी के अमृत महोत्सव का प्रतिबिंब होगा।
14 अगस्त 1945 को पंडित नेहरू ने स्वीकार किया था सेंगोल
अमित शाह ने बताया, PM मोदी को जब सेंगोल के बारे में पता चला तो उन्होंने इस बारे में और जानकारी हासिल करने को कहा। 14 अगस्त 1945 को 10:45 बजे के करीब नेहरू ने तमिलनाडु से मंगवाकर अंग्रेजों से इसे स्वीकार किया।
गृह मंत्री ने कहा, हालांकि 1947 के बाद सेंगोल को भुला दिया गया। कहीं भी इसका जिक्र नहीं होता था। बाद में 24 साल बाद एक तमिल विद्वान ने इसकी चर्चा की और किताब में जिक्र किया। सरकारी डेटा में 2021-22 में इसका जिक्र मिलता है। अमित शाह ने यह भी बताया कि, 96 साल के तमिल विद्वान जो उस वक्त 1947 में उपस्थित थे वो भी सेंगोल के स्थापना के समय मौजूद रहेंगे।
कहां से आया सेंगोल, पहली बार कब इस्तेमाल हुआ
सेंगोल शब्द संस्कृत के ‘संकु’ से लिया गया है। इसका मतलब शंख होता है। सेंगोल पर सबसे ऊपर नंदी हैं और बगल में कुछ कलाकृति बनी हैं। यह सोने और चांदी का बना होता है।
भारत में सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। सबसे पहले मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) द्वारा इसका उपयोग किया गया था। इसके बाद गुप्त साम्राज्य (320-550 ईस्वी), चोल साम्राज्य (907-1310 ईस्वी) और विजयनगर साम्राज्य (1336-1646 ईस्वी) द्वारा सेंगोल का इस्तेमाल किया जाता था।
बाद में यह चोल वंश से मुगलों के पास आया और जब अंग्रेज भारत आए तो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया।