आज (15 अप्रैल 2024) चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है जो माता कालरात्रि को समर्पित किया गया है. ये दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्त मां के आशीर्वाद के लिए उपवास रखकर मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करते हैं. देवी कालरात्रि की पूजा करने से उपासक को कई आशीर्वाद और सिद्धियां प्राप्त होती हैं
सातवें दिन के मुहूर्त
भद्रावास योग – दोपहर 12:11 बजे से संध्याकाल 08:39 बजे तक है.
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:27 बजे से 05:12 बजे तक.
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक.
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:45 बजे से 07:08 बजे तक.
कालरात्रि की पूजा के फायदे
धार्मिक शास्त्रों की मानें तो मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. तंत्र-मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करते हैं. साथ ही मां कालरात्रि की आराधना करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है. ऐसी भी मान्यता है कि कालरात्रि साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा करती है.
कौन हैं मां कालरात्रि?
मां कालरात्रि की छवि उनके नाम के अनुसार है अर्थात रूप काला और आक्रामक है. मां के तीन नेत्र हैं. मां के चार हाथ हैं जिनमें दो हाथों में खड़ग और कांटा है. वहीं, बाकी दो हाथों में वर देने की और दूसरे हाथ अभय मुद्रा में है. मां की सवारी कवर्ध यानी गधा है. पौराणिक शास्त्रों की मानें तो रक्तबीज नामक राक्षस के वध करने के लिए मां ने ऐसा रूप रखा था.
कालरात्रि की पूजा के मंत्र
1. ॐ कालरात्र्यै नम:
2. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा.
3. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
मां कालरात्रि का भोग
मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है.
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