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बोरियाकला में 1892 में खुला स्कूल:यहां 130 साल पुराने रजिस्टर में अब भी नाम सुरक्षित और उस समय दाखिला लेने वाले एक-एक बच्चे का रिकार्ड भी

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acn18.com रायपुर/ छत्तीसगढ़ में मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए अब कक्षा, तीसरी और पांचवीं कक्षा का रिकार्ड अनिवार्य कर दिया है। यानी जिसने कक्षा पहली से छत्तीसगढ़ में पढ़ाई की है, उसी का मूल निवासी प्रमाण पत्र बनेगा। इस फैसले के बाद स्कूलों का दाखिल-खारिज रजिस्टर वीआईपी हो गया।

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दाखिल खारिज रजिस्टर में ही पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले और पांचवीं पढ़कर निकलने वालों का रिकार्ड रहता है। मूल निवासी बनाने के लिए जरूरी दाखिल खारिज रजिस्टर स्कूलों में सुरक्षित है या नहीं? इसकी पड़ताल के दौरान पता लगाया कि 20-25 साल पहले स्कूल से निकल चुके हैं अगर उन्हें कक्षा पहली के रिकार्ड की जरूरत पड़ी तो मिलेगा या नहीं? शहर और आउटर में खोजबीन के दौरान पता चला सेजबहार के पास स्थित बोरियाकला में अंग्रेजों ने 130 साल पहले 1892 में ही स्कूल खोल दिया था।

इतना ही नहीं वहां 1892 का रजिस्टर भी सुरक्षित है और उस समय दाखिला लेने वाले एक-एक बच्चे का रिकार्ड भी। बोरियाकला में अब भले ही 1892 में बनवाया गया स्कूल भवन नहीं है लेकिन रजिस्टर सुरक्षित है। स्कूल की हेड मास्टर से जैसे ही दाखिल खारिज रजिस्टर के बारे में पूछताछ की गई, उन्होंने तुरंत ही रजिस्टर मंगवा लिया। उन्होंने बताया हमारे यहां जितने भी प्रधान पाठक पदस्थ हैं, उन्होंने स्कूल के पुराने रजिस्टर की हिफाजत में कोई लापरवाही नहीं बरती।

स्कूल के रजिस्टर की जांच के बाद उन्होंने ये तक बता दिया कि जब से स्कूल खुला है, तब से अब तक 5 हजार आठ सौ बजे बच्चे यहां कक्षा पहली में दाखिला ले चुके हैं। स्कूल की नई बिल्डिंग बनने के साथ इसका विस्तार भी कर दिया गया है अब यहां पहली कक्षा से आठवीं तक पढ़ाई हो रही है।

भास्कर ने राजधानी के करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे स्कूल जो 50-60 साल या उससे पहले खुल चुके हैं, उनके रिकार्ड की जांच की। शहर के सबसे चर्चित और प्रमुख स्कूलों में शामिल गर्वमेंट जेएन पांडे हायर सेकेंडरी में 100 साल पुराना रजिस्टर और रिकार्ड सुरक्षित है।

स्कूल का निर्माण 1890 के आस-पास शुरू हुआ था। 1902 में यहां पढ़ाई शुरू हो गई थी। भास्कर टीम जब स्कूल में पुराने रिकार्ड की जानकारी लेने पहुंची तो प्राचार्य सावंत ने कहा- स्कूल तो पुराना है लेकिन 40-50 साल पुराना मुश्किल से मिल जाए तो बड़ी बात होगी, लेकिन उन्होंने जैसे ही रिकार्ड मंगवाया तो 1922 का रजिस्टर यानी पूरे सौ साल पुराना दाखिल खारिज रजिस्टर देखकर वे हैरान रह गए। उन्हें भी विश्वास नहीं हो रहा था कि इतना पुराना रिकार्ड और रजिस्टर उपलब्ध है।

इसके अलावा हिंदू स्कूल, गंजपारा, आरडी तिवारी और चौबे कालोनी, मायाराम सुरजन, खालसा स्कूल, सालेम हिंदी, राष्ट्रीय विद्यालय, लक्ष्मीनारायण कन्या शाला, वामन राव लाखे और स्प्रे शाला स्कूल शहर के पुराने और चर्चित स्कूलों में शामिल हैं। इनमें कुछ स्कूल 100 तो कोई सवा सौ साल पुराने हैं। इनमें किसी में 60 ताे किसी में 70 साल तक पुराना रिकार्ड और रजिस्टर सुरक्षित हैं। बाकी स्कूल 1970-80 के बाद धीरे धीरे जरूरत के हिसाब से खुले हैं, और वहां रिकार्ड भी सुरक्षित है।

  • शहर में आधा दर्जन स्कूल सौ साल से ज्यादा पुराने, स्कूलों के दाखिल खारिज रजिस्टर में पहली कक्षा के हर बच्चे की हिस्ट्री
  • प्रदेश में पिछले 10 साल में 2900 स्कूल हुए बंद, पर वहां के बच्चों को वहीं पास के स्कूल में किया शिफ्ट, बच्चों का पुराना रिकार्ड भी वहीं भेजा
  • मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाने में नहीं होगी दिक्कत, स्कूलों में जाकर ले सकते हैं रिकार्ड

130 साल पुरानी लिखावट ऐसी कि कंप्यूटर टाइपिंग मात खा जाए
बोरियाकला के स्कूल के 130 साल पुराने रजिस्टर की लिखावट ऐसी है कि कंप्यूटर टाइपिंग मात खा जाए। रजिस्टर का बाहरी हिस्सा भले ही थोड़ फट गया है, लेकिन पन्ने और लिखावट पूरी तरह सुरक्षित है। बच्चों और परिजनों के नाम लिखने के लिए जिस स्याही का इस्तेमाल हुआ है उसका अब तक रंग नहीं उड़ा है। शिक्षकों का कहना है देखने से महसूस होता है कि उन दिनों में स्याही में कलम डुबो कर लिखी जाती थी, रजिस्टर में वही लिखावट दिख रही है। गर्वमेंट स्कूल के रजिस्टर में पूरी एंट्री अंग्रेजी में है।

शिक्षकों के अनुसार गर्वमेंट स्कूल कक्षा छठवीं से शुरू हुआ था। उस समय यहां अंग्रेज टीचरों की पोस्टिंग थी, वे अंग्रेजी ही लिखते थे।

राज्य में 2900 और शहर में 144 स्कूल बंद, पर रजिस्टर सुरक्षित

2006-07 में जब कुछ सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बेहद कम हो गई तब राज्य भर के 2900 और रायपुर में 144 स्कूलों को युक्तियुक्त करण फार्मूले से बंद किया गया था। कम दर्ज संख्या वाले स्कूल के बच्चों और शिक्षकों को आस-पास के दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया गया था। इसमें ये भी ध्यान रखा गया कि बच्चों के लिए स्कूल की दूरी न बढ़े। इससे ये भय था कि जो बच्चे घर करीब होने के कारण पढ़ाई कर रहे हैं, वे दूर होने से स्कूलों से ही दूर न हो जाएं।

स्कूलों में दाखिल खारिज रजिस्टर सुरक्षित रखने का प्रावधान है। जब बच्चा दाखिल होता है, तब उस रजिस्टर में एंट्री की जाती है। पढ़ाई पूरी होने के बाद या अधूरे में छाेड़ने के दौरान भी बच्चों का रिकार्ड उस रजिस्टर में सुरक्षित रखा जाता है। अब चूंकि मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी। इसलिए सभी को अलर्ट कर दिया गया है।
एएन बंजारा, जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर

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