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चैत्र नवरात्रि पर करें दुर्गा सप्तशती के इन 7 श्लोकों का पाठ, होगी सभी मनोकामना पूरी

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आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। आज से मां दुर्गा के नवस्वरूप की पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। जो साधक व्रत रखते हैं वह पूरे 9 दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।  माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और व्यक्ति की हर कामना पूर्ण हो जाती है। यदि आप सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते हैं तो आप मात्र इन 7 श्लोकों का पाठ करें। इसमें  दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का सार छुपा हुआ है। इन श्लोकों के जाप से इस संपूर्ण पाठ को पढ़ने जितना ही फल मिलता है और अनेक लाभ भी पहुंचते हैं। साथ ही ये भी जानते हैं की दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय किन गलतियों से बचना चाहिए। 

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दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय
दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय है जिसमें 700 श्लोक हैं। इन्हीं के माध्यम से मां दुर्गा की आराधना की जाती है। इन 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है। इन चरित्रों को प्रथम, मध्यम और उत्तम के नाम से जानते हैं। यदि आप सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पाते हैं तो आप मात्र इन 7 श्लोकों का पाठ करें।

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। 
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। 
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥

शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे 
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥4॥

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। 
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥

रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। 
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति॥

सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥

दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय ध्यान रखें ये बातें
दुर्गा सप्तशती के पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं सप्तशती पाठ करते समय किन गलतियों को करने से बचना चाहिए। 

  • शास्त्रों के अनुसार,  दुर्गा सप्तशती का पाठ वही व्यक्ति करे जिसने नवरात्रि में अपने घर में कलश की स्थापना की है।
  • श्री दुर्गा सप्तशती की पुस्तक हाथ में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए। इसके लिए एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछा लें। 
  • इसके बाद पुस्तक रखें और कुमकुम, चावल और फूल से पूजा करें। 
  • फिर माथे में रोली लगा कर ही पाठ का आरंभ करें।
  • श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को शुरू करने से पहले और समाप्त करने के बाद रोजाना नर्वाण मंत्र ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का पाठ जरूर करें। सभी पाठ पूर्ण माना जाता है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय तन के साथ-साथ मन भी साफ होना चाहिए। इसलिए पाठ करने से पहले स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण कर लें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय हर एक शब्द का सही और स्पष्ट उच्चारण करें। इसके साथ ही तेज आवाज में पाठ न करें। अगर संस्कृत में कठिन लग रहा है, तो हिंदी में पाठ कर सकते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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