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होली में खिला दुर्लभ पीला पलाश:प्रदेश में अब कुछ ही जगह बचे ऐसे पेड़, ज्यादातर केसरिया फूलों वाले पलाश ही दिखते हैं

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acn18.com (GPM) /गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में होली से पहले दुर्लभ पीले रंग का पलाश खिला है। पीले रंग के पलाश को देवी पीतांबरा का प्रिय पुष्प माना जाता है। पीले रंग का पलाश दुर्लभ किस्म का होता है, जो कभी-कभार ही खिलता है। मरवाही के रूमगा गांव के पास सड़क किनारे पीले पलाश के फूल सभी को बहुत लुभा रहे हैं।

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पीले पलाश को सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पीले रंग का पलाश दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। यह संरक्षित श्रेणी का पेड़ भी है। इस क्षेत्र में ज्यादातर लाल-केसरिया रंग के पलाश खिलते हैं। पौधे का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे ‘जंगल की आग’ भी कहा जाता है।

रूमगा गांव के पास इस सीजन का पहला पीला पलाश देखा गया।
रूमगा गांव के पास इस सीजन का पहला पीला पलाश देखा गया।

प्राचीन काल ही से होली के रंग पलाश के फूलों से तैयार किए जाते रहे हैं। ग्रामीणों में यह अवधारणा भी है कि पीले पलाश से सोना बनाया जा सकता है, जबकि सोना बनने की बात ने ही इस दुर्लभ वृक्ष के लिए खतरा पैदा कर दिया है। पुष्पन के समय ही इसकी पहचान होती है, इसलिए इस समय इसके फूलों के लिए बड़ी मारामारी होती है। इसके पहले भी साल 2015, 2020 और 2022 में इस इलाके में इन दुर्लभ पीले पलाश के फूलों को देखा गया था, जबकि रूमगा गांव के पास इस सीजन का पहला पीला पलाश देखे जाने की खबर है।

पलाश को कई जगहों पर टेसू, ढाक या परसा के नाम से भी जाना जाता है।
पलाश को कई जगहों पर टेसू, ढाक या परसा के नाम से भी जाना जाता है।

पलाश के फूल के फायदे

पलाश को कई जगहों पर टेसू, ढाक या परसा के नाम से भी जाना जाता है। पलाश के फूल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। पलाश के फूल में एसट्रिनजेंट गुण पाया जाता है, जो पेट की समस्या में आराम पहुंचाता है। इसका इस्तेमाल दस्त जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। वास्तु में पलाश के फूल के कई लाभ बताए गए हैं। कहते हैं इसे घर में लगाने से धन में वृद्धि और खुशहाली आती है।

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