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10 जनवरी को चतुर्थी पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग:माघ कृष्ण चतुर्थी मंगलवार को, गणेश जी के साथ ही मंगल ग्रह की पूजा करने का शुभ मुहूर्त

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मंगलवार, 10 जनवरी को अंगारक (गणेश) चतुर्थी है। घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना से गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। सालभर में कुल 24 चतुर्थियां रहती हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस साल अधिकमास की वजह से 24 चतुर्थियां रहेंगी। अभी माघ मास चल रहा है और इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुत खास माना जाता है। इसे संकटा चतुर्थी और तिल चौथ भी कहते हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग भी रहेगा।

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उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा कहते हैं कि सालभर की सभी चतुर्थियों में माघ कृष्ण चतुर्थी का महत्व सबसे अधिक है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत करने के साथ ही तिल का दान जरूर करना चाहिए। इस साल ये चतुर्थी मंगलवार को होने से इसका नाम अंगारक चतुर्थी है।

मान्यता – चतुर्थी व्रत से दूर हो जाती हैं घर-परिवार की सभी बाधाएं

पुरानी मान्यता है कि जो लोग चतुर्थी पर व्रत करते हैं, उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। किसी शादी में दिक्कत आ रही है, कोई काम अटका हुआ है, धन संबंधी परेशानी चल रही है तो चतुर्थी व्रत करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है। ये व्रत गणेश जी के लिए किया जाता है। गणेश जी की कृपा से सभी काम बिना बाधा के पूरे हो जाते हैं।

चतुर्थी और मंगलवार के योग में मंगल ग्रह की करें पूजा

मंगलवार को ये तिथि होने से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। मंगलवार को गणेश जी के बाद मंगल ग्रह की पूजा करें। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है। घर के आसपास किसी मंदिर में शिवलिंग का श्रृंगार पके हुए चावल से करें। लाल गुलाल, लाल फूल, मसूर की दाल चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। मंगल के मंत्र ऊँ अं अंगारकाय नम: का जप करें।

ऐसे करें गणेश जी की सरल पूजा

तिल चौथ पर गणेश जी की पूजा किसी ब्राह्मण की मदद से करेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा, अगर पूजा खुद ही करना चाहते हैं तो जानिए गणेश पूजन की सरल विधि…

गणेश जी और रिद्धि-सिद्धि की मूर्तियों को सुगंधित जल से स्नान कराएं। जल को सुगंधित बनाने के लिए जल में फूल डालें और फिर भगवान को स्नान कराएं। इसके बाद नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। जनेऊ चढ़ाएं। कुमकुम, गुलाल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं।

दूर्वा अर्पित करें। लड्डूओं का भोग लगाएं, तिल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।

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