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नोटों की बोरी वाले मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा पर इस्तीफा या VRS का दबाव

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नई दिल्ली: भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 3 जजों की एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी जज वर्मा के घर पर मिली बड़ी मात्रा में नकदी के मामले की गहरी जांच करेगी। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की जांच के लिए कुछ नियम बनाए थे। इन नियमों के अनुसार, यह कमेटी आरोपों की तथ्यात्मक जांच करेगी। जज वर्मा को जांच में शामिल होने और अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा। कमेटी CJI को रिपोर्ट देगी कि आरोपों में कोई सच्चाई है या नहीं, और अगर है तो क्या यह इतनी गंभीर है कि जज को हटाने की कार्यवाही शुरू की जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक फैसला दिया था। इस फैसले में कहा गया था कि जांच तथ्यात्मक होगी। इसका मतलब है कि यह औपचारिक न्यायिक जांच नहीं होगी। इसमें गवाहों से पूछताछ और वकीलों की मदद नहीं ली जाएगी। फैसले में यह भी कहा गया है कि कमेटी अपनी प्रक्रिया खुद तय कर सकती है, लेकिन उसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा। आसान भाषा में कहें तो, कमेटी को निष्पक्ष तरीके से काम करना होगा और जज वर्मा को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना होगा। फैसले में यह भी बताया गया है कि जांच के बाद कमेटी CJI को क्या रिपोर्ट दे सकती है।

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