Acn18.com/कोरबा जिले में रेल गाड़ियों की मनमानी के कारण यात्रियों को बेहद परेशान होना पड़ रहा है। कौन सी ट्रेन कितने घंटे विलंब से आएगी या अचानक रद्द हो जाएगी, इस बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं होती। कई तरह की समस्याओं के बीच एक बार फिर दक्षिण भारत के बेंगलुरु को जाने वाली कोरबा यशवंतपुर वैनगंगा एक्सप्रेस पूरे 9 घंटे विलंब से यहां पहुंची । और इतने घंटे तक लोगों को स्टेशन पर परेशान होना पड़ा। लोगों ने इसे लेकर रेल प्रबंधन और सरकार को भला बुरा कहा।
12251 नंबर के साथ यशवंतपुर से कोरबा चलने वाली गाड़ी अलसुबह यहां पहुंचती है और 7:50 बजे गंतव्य के लिए रवाना होती है। ऐसे में दक्षिण भारत का सफर करने वाले यात्रियों को सुबह 7:00 बजे के आसपास स्टेशन पहुंचना पड़ता है। रविवार को ऐसे लोग अपने समान के साथ स्टेशन पहुंचे हुए थे। लेकिन हद तो तब हो गई जब उनकी ट्रेन उन्हें लंबा इंतजार कराया और पूरे 9 घंटे विलंब से कोरबा में उपस्थिति दर्ज कराई। शाम लगभग 5:00 बजे इस ट्रेन की यहां आमद हुई। यात्रियों की समस्या जानने के लिए एशियन की टीम स्टेशन पर पहुंची। अपने एक परिजन के उपचार के लिए पहली बार बेंगलुरु जा रही सरोजिनी इस बात से परेशान दिखे की ट्रेन कि इस कदर लेटलतीफी है तो आगे पता नहीं क्या होगा।
यशवंतपुर एक्सप्रेस से सफर करने के लिए कई लोगों ने रिजर्वेशन कराया था और स्टेशन पहुंचे थे। ट्रेन के इंतजार में यह लोग यहां से वहां चक्कर लगा रहे थे। एक छात्र ने बताया कि रेलगाड़ियों का परिचालन कोरबा के मामले में सिरदर्द बना हुआ है। इस वजह से उसे सुबह से परेशान होना पड़ रहा है।
एक रेलयात्री से हमारी बातचीत हुई तो उसने भी गाड़ियों की लेटलतीफी को लेकर भड़ास निकाली।
जबकि मृणाल सरकार का सीधा आरोप है कि कोविड- के समय माल गाड़ियों को रोककर यात्री गाड़ियां चलाई जा रही थी और अब इसके ठीक उल्टा काम हो रहा है। ऐसा लगता है कि रेलवे को प्राइवेटाइज करने की तैयारी की जा रही है। मृणाल ने रेलवे की मनमानी को लेकर जनप्रतिनिधियों को भी निशाने पर लिया।
वही टी भट्टाचार्य का कहना है कि यात्रियों को परेशानी से बचाने के लिए स्टेशन परिसर में आवश्यक व्यवस्थाएं की जानी चाहिए।
रेलवे स्टेशन कोरबा मैं पीड़ित यात्रियों से बातचीत करने पर कुल मिलाकर यही तस्वीर सामने आई की हर कोई रेल प्रबंधन से लेकर रेल मंत्रालय के अड़ियल रवैया के कारण परेशान हैं। कोरबा और गेवरा रोड से संचालित होने वाली कई गाड़ियों का बुरा हाल है जिनकी सेवाएं लोगों को नहीं मिल पा रही हैं। इन सभी कारणों से लोगों की नाराजगी का बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसे मामलों को लेकर कई अवसर पर कोरबा में आंदोलन हो चुके हैं। लेकिन सबसे हैरानी की बात यह रही है कि तमाम स्तर पर प्रचार प्रसार करने के बाद भी आम लोग या रेल सुविधा को लेकर शिकायत करने वाले लोग ऐसे आंदोलन का हिस्सा बनने में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। इसी का नतीजा है कि जनता का तमाम कमजोर होने के कारण रेल प्रबंधन ऐसे प्रदर्शनों को भाव नहीं दे रहा है। देखना होगा कि कितने समय तक लोग केवल शिकायत ही करते रहेंगे या रेलवे के खिलाफ मोर्चाबंदी करने की मानसिकता भी बनाएंगे।