Acn18.com/छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में शिवनाथ नदी के सगनी घाट पर बनाए जा रहे ब्रिज के सट्रक्चर बहने के बाद उसी दिन अरसनारा में पुल का निर्माणाधीन ढांचा बह गया। गनीमत ये रही कि घटना के दौरान वहां पर कोई मौजूद नहीं था। घटना का वीडियो सामने आया था। दोनों ही निर्माणाधीन पुल पर लोगों को जाने से रोकने के लिए सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे।
पीडब्ल्यूडी सेतु विभाग और ठेकेदार की ये लापरवाही लोगों की जान भी ले सकती थी। जब इस मामले में भास्कर की टीम ने कार्यपालन अभियंता से बात की तो वे इसे सामान्य घटना बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
सगनी घाट और सिल्ली गांव को जोड़ने वाले मार्ग में शिवनाथ नदी पर में 16.40 करोड़ की लागत से ब्रिज बनाया जा रहा है। निर्माणाधीन 400 मीटर लंबे इस पुल में लोगों को जाने से रोकने के लिए किसी प्रकार की कोई बैरिकेडिंग या सुरक्षा के उपाए नहीं किए गए थे। अमर इंफ्रा स्ट्रक्चर के ठेकेदार नरेंद्र राठी दुर्ग के ही रहने वाले है।
ग्रामीणों और वहां काम कर रहे कर्मचारियों की माने तो निर्माण को देखने के लिए ठेकेदार और कार्यपालन अभियंता आते ही नहीं है। ब्रिज का निर्माण केवल एक मुंशी के भरोसे चल रहा है। इसके चलते ही पिछले साल इसी ब्रिज से एक युवक शिवनाथ नदी में गिर गया था और उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद भी ठेकेदार और अधिकारियों की आंख नहीं खुली अब तक सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए।
शिवनाथ नदी में बन रहे एक और पुल का स्ट्रक्चर बहा
अरसनारा में दो गांव को जोड़ने के लिए कई करोड़ की लागत से शिवनाथ नदी पर पीडब्ल्यूडी सेतु निगम एक हाई एप्रोच ब्रिज का निर्माण कर रहा था। घटिया निर्माण के चलते इस ब्रिज का स्ट्रक्चर बनाने के लिए की गई सेंटरिंग भी बुधवार को बह गई।
एक तरफ सफाई, दूसरी तरफ ठेकेदार को नोटिस देने की बात
भास्कर में ब्रिज का स्ट्रक्चर गिरने की खबर के बाद कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने जब कार्यपालन अभियंता डीके महेश्वरी से जवाब मांगा तो उन्होंने इसे सामान्य घटना बता कर सफाई दे दी। वहीं जब सुरक्षा को लेकर उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने ठेकेदार और सब इंजीनियर पर ही सारा ठीकरा फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि वो नोटिस जारी करेंगे। अगर संतोष जनक जवाब न मिला तो उसके ऊपर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी।
किसी भी निर्माण के लिए ईई होता है पूरा जिम्मेदार
पीडब्ल्यूडी के मुताबिक किसी भी निर्माण के लिए अनुबंधकर्ता अधिकारी उस विभाग का कार्यपालन अभियंता होता है। कार्य की गुणवत्ता, प्रोग्रेस और अन्य मानक को देखना और पूरा कराना ईई का उत्तरदायित्व होता है। इसके बाद भी इतनी बड़ी लापरवाही हो जाने के बाद ईई डीके महेश्वरी इसके लिए अपनी गलती छिपाते हुए ठेकेदार और सब इंजीनियर को दोषी बता रहे हैं। वहीं मौके पर निर्माण से संबंधित जो सूचना बोर्ड लगा है। उसमें ठेकेदार और ईई का नाम नंबर तक मिटा दिया गया है।
अधिक दर के बाद भी निर्माण में देरी
आपको बता दें कि इस ब्रिज के निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी ने 11.96 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी थी। निर्माण एजेंसी ने इस काम को अधिक दर पर 16.40 करोड़ में लिया। अनुबंध के मुताबिक काम 11 नवंबर 2020 में शुरू हो जाना था और 16 महीने में 11 अप्रैल 2022 को पूरा हो जाना था। इसके बाद भी ठेकेदार ने एक साल से अधिक समय हो जाने के बाद मात्र 65 प्रतिशत काम ही पूरा किया है। ईई डीके महेश्वरी के मुताबिक मुआवजा प्रकरण और ठेकेदार की लापरवाही के चलते काम में देरी हुई है।