Acn18.com/गरियाबंद जिले के देवभोग अस्पताल में अलग-अलग मामले में जच्चा और बच्चा की मौत के मामले में SDM अर्पिता पाठक ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए हैं। दोनों ही मामलों में पीड़ित झाखरपारा गांव के रहने वाले थे। झाखरपारा में बुधवार 7 जून को जिला स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर में दोनों मामलों के पीड़ितों ने SDM से अस्पताल के खिलाफ शिकायत की।
पहले मामले में झाखरपारा गांव की रहने वाली भाग्यवती यादव के नवजात बच्चे की मौत डॉक्टर की लापरवाही से हो गई। 5 सालों के बाद भाग्यवती मां बनी थी। उसके पति राजेश यादव ने बताया की 19 मई को प्रसव पीड़ा के बाद पत्नी को सुबह 6 बजे देवभोग अस्पताल में भर्ती कराया गया। भर्ती के कुछ घंटे बाद शाम साढ़े 7 बजे बेटा पैदा हुआ। रात करीब 10 बजे के बाद बेटे का शरीर बुखार से तपने लगा। ड्यूटी पर तैनात नर्स को बार-बार बुलाने पर भी वो नहीं आई।
राजेश ने बताया कि नवजात बच्चे को बुखार से तपता देख उससे रहा नहीं गया और तड़के 4 बजे ड्यूटी डॉक्टर को उठाया, लेकिन उनकी फटकार सुनने को मिली। बहुत मिन्नतें करने पर डॉक्टर आने को राजी हुआ। सुबह 5 बजे ड्यूटी डॉक्टर पहुंचा, लेकिन बच्चे की मौत हो गई। इधर डॉक्टर रेफर का बहाना बनाता रहा। 20 मई की सुबह 6 बजे नवजात बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया।
जवाबदेही से बचने डिस्चार्ज पेपर पर मरा हुआ बच्चा पैदा होना बताया
इधर संवेदनहीनता की हद ये थी कि जब डिस्चार्ज पेपर बनाया गया, तो उस पर मरे हुए बच्चे का जन्म यानि स्टिल बर्थ लिखा, जबकि प्रसव के बाद वजन 2 किलो होना बताकर शिशु देखभाल केंद्र में भर्ती के पंजीयन में उसकी निगरानी करना दिखाया गया है। इतना ही भी भर्ती तत्काल बाद 19 मई को ही अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड के जरिए हितग्राही के खाते से प्रसव के लिए निर्धारित 3500 रुपए सरकारी खजाने में ट्रांसफर भी कर दिए। हैरानी की बात ये है कि इस 3500 में प्रसव के लिए तैनात स्टाफ नर्स और डॉक्टर को भी सरकार इनाम के तौर पर इनसेंटिव देगी।
दूसरे मामले में मां की मौत
झाखरपारा के वार्ड- 27 में रहने वाले मजदूर दिनेश विश्वकर्मा की पत्नी भूवेंद्री को 21 मई की रात 10 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिवार वालों ने डायल 102 को कॉल किया, लेकिन जवाब में सेवा उपलब्ध नहीं होने का जवाब मिला। एंबुलेंस की कोशिशों के बीच लगभग रात 2 बजे झाखरपारा पीएससी का एंबुलेंस तब पहुंचा, जब भूवेंद्री बेटे को जन्म दे चुकी थी। घर की महिलाएं साथ मौजूद थीं। एंबुलेंस के आते ही जच्चा-बच्चा के नाल समेत उसे 3 बजे देवभोग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पति दिनेश ने बताया कि अस्पताल में नर्स ने नाल काट दिया, जिसके बाद खून बहता रहा। खून नहीं रुका, तो अस्पताल ने उसे रेफर लेटर थमा दिया। लाचार पति 5 बजे ओडिशा धर्मगढ़ के सरकारी अस्पताल पहुंचे, वहां भी प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए। थोड़ी देर के बाद 22 जून की सुबह प्रसूता की मौत हो गई। लापरवाही के चलते मासूम के सर से मां की साया उठ गया। अब दादी उसे डिब्बे के दूध के सहारे पालने की कोशिश कर रही है। दिनेश का विवाह हुए महज एक साल ही हुए थे। ये उसकी पहला संतान है।
तहसीलदार को दोनों मामलों की जांच के निर्देश
बता दें कि 7 जून को जिला स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर में ADM अविनाश भोई और SDM अर्पिता पाठक पहुंची थीं, जिनसे दोनों पीड़ित परिवारों ने देवभोग अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत की है। इस पर एसडीएम ने तहसीलदार जयंत पटले को जांच का निर्देश जारी किया है।