ACN18.COM कोरबा /कोरबा जिले के किसानो का वक्त बचाने और आमदनी बढ़ाने के लिए प्रशासन द्वारा यूनिक पहल की जा रही है। अब किसानो को सब्जी की फसल लेने के लिए बीज की बुआई करने की जरूरत नही है बल्कि उद्यानिकी विभाग द्वारा उन्हें पौधे तैयार कर दिया जा रहा है। इसके लिए जिले में दो मिनी प्लग टाइप सिडलिंग स्थापित किया गया है। जिसकी मदद से करीब 10 लाख स्वस्थ थरहा पौधे तैयार कर किसानो को उपलब्ध कराया जा रहा है।
कोरबा जिले के किसान धान की पारंपरिक खेती करने से उबर नहीं पाए है। जिसके कारण मुनाफा सीमित है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए परिवर्तित फसल को बढ़ावा देकर किसानो की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अनूठी पहल की जा रही है। उन्नतशील किसानों को रियायती दर पर सब्जियों एवं पुष्प के थरहा पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मिनी प्लग टाईप वेजीटेबल सीडलिंग यूनिट में तैयार किए गए पौधे अन्य माध्यमों से तैयार थरहा पौधों के तुलना में रोग-रहित, स्वस्थ तथा अधिक उत्पादन देने वाले होते हैं।
कोरबा के पताड़ी और कटघोरा के पंडरीपानी ने यूनिट स्थापित की गई है। इस प्रकिया के माध्यम से कम समय में पौधे तैयार हो जाते है। खराब होने का खतरा भी कम रहता है। जिससे सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि होती है। आपको बता दे कि जिले में स्थापित दोनो सिंडलिंग यूनिट के जरिए एक साथ 10 लाख पौधे तैयार किए जा सकते है। पिछले दो साल में 3 हजार किसानो ने इस योजना का लाभ लिया है। इसके लिए न्यूनतम शुल्क है। किसानों को 80 पैसे प्रति पौधे की दर से शुल्क भुगतान करना होता है। स्वयं का बीज उपलब्ध नहीं कराने पर किसान प्रति पौधे 1 रूपये की दर से शुल्क जमाकर सिडलिंग यूनिट से थरहा पौधे प्राप्त कर सकते है। जिले के किसान इस यूनिट से आवश्यकता एवं मांग के अनुसार हर सीजन में लगाई जाने वाली सब्जियों एवं पुष्पों के थरहा पौधे प्राप्त कर सकते हैं।
गौरतलब है कि मिनी प्लग टाईप वेजीटेबल सीडलिंग यूनिट के माध्यम से तैयार थरहा पौधों में अकुंरण का प्रतिशत अन्य माध्यमों के तुलना में अधिक होता है। जहां परम्परागत रूप से तैयार पौधों में अंकुरण 60 से 65 प्रतिशत होता है। वहीं सिडलिंग यूनिट के जरिए तैयार थरहा पौधों में अंकुरण लगभग 95 प्रतिशत होता है. इस यूनिट में तैयार किए गए थरहा पौधों को रोपित करने पर लगभग 80 से 90 प्रतिशत पौधे जीवित रहते है। शासन की पहल किसानो के लिए काफी फायदेमंद है। हालाकि इस यूनिट का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या अभी काफी कम है। जरूरत है कि विभाग द्वारा इस महत्वाकांक्षी स्कीम की प्रचार प्रसार करने की। ताकि अधिक से अधिक किसानो को इसका लाभ मिल सके।