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महाकाल की पहली सवारी:मनमहेश रूप में प्रजा को दर्शन देने निकले बाबा, राजाधिराज को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर

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Acn18.com/सावन महीने के पहले सोमवार को उज्जैन में राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी निकल रही है। उज्जैन के राजा के रूप में बाबा महाकाल अपनी प्रजा के हाल जानने के लिए निकले हैं। कलेक्टर ने भगवान महाकाल का पूजन किया। इसके बाद बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

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सावन की पहली सवारी में बाबा महाकाल मनमहेश के रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। सवारी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े हैं। जगह-जगह बाबा महाकाल का फूल बरसाकर स्वागत किया जा रहा है।

महाकाल चौराहे से शुरू हुई सवारी हरसिद्धि होते हुए रामघाट पहुंची। जहां क्षिप्रा नदी के जल से बाबा महाकाल का अभिषेक-पूजन किया गया। यहां से सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी।

कड़ाबीन की परंपरा के साथ सवारी का आगाज
बाबा महाकाल की सवारी सोमवार शाम ठीक 4 बजे मंदिर से निकली। यहां कड़ाबीन (एक प्रकार की बंदूक है, जिसमें बारूद भरकर फायर करते हैं। इससे बाबा महाकाल को सलामी दी जाती है) की परंपरा के साथ सवारी का आगाज हुआ। यहां सरकारी पुजारी घनश्याम पुजारी ने पूजा की। इस दौरान कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, एसपी सचिन शर्मा, विधायक पारस जैन, महापौर मुकेश टटवाल समेत कई अधिकारी, नेता और अन्य लोग मौजूद रहे।

सवारी में पहले भक्त मंडली, फिर भजन मंडली नाचते-गाते चल रही हैं। पुलिस बैंड भी साथ में चल रहा है। सुरक्षा के लिए सड़क के दोनों ओर बैरिकेट्स लगाए गए हैं।

इस बार अधिक मास होने से कुल 10 सवारी निकलेंगी
सावन के हर सोमवार को महाकाल राजा की सवारी निकालने का विधान है। इस साल अधिक मास होने से सावन 59 दिन का होगा। इस दौरान कुल 10 सवारी निकाली जाएंगी। इनमें 8 सवारी सावन महीने और दो सवारी भादों में निकाली जाएंगी।

भस्म आरती के लिए रात ढाई बजे ही खोल दिए पट
सोमवार को सुबह से ही महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। भीड़ बढ़ती देख भस्म आरती के लिए रात 2.30 बजे महाकाल मंदिर के पट खोल दिए गए। भस्म आरती में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर विशेष श्रृंगार हुआ।

पंचामृत से पूजन, सूखे मेवों से दिव्य श्रृंगार
भस्म आरती में जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भांग, चंदन, सूखे मेवों से बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार कर भस्म अर्पित की गई। इसके बाद रजत का त्रिपुंड, त्रिशूल और चंद्र अर्पित किया गया।

शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई। मोगरे और गुलाब के पुष्प अर्पित कर फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।

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