एसईसीएल में सेवारत मजदूरों के हित में संघर्ष करने वाले श्रमिक नेताओं की कार्यशैली पर एक बार फिर से प्रश्न चिन्ह लग गया है. कहा जाने लगा है कि श्रमिक नेता बिना काम किए ही तनख्वाह ले रहे हैं. एक मजदूर ने शिफ्ट इंचार्ज से श्रमिक नेता कि ड्यूटी न करने को लेकर की गई बातचीत को रिकॉर्ड किया और उसे वायरल कर दिया. जिस श्रमिक नेता पर ड्यूटी न करने का आरोप लगाया गया है. उसका कथन है कि आरोप निराधार है और उसे व उसकी यूनियन को बदनाम करने की साजिश है.
कोल इंडिया में सबसे अधिक उत्पादन करने वाले एसईसीएल के गेवरा प्रोजेक्ट में कार्यरत एक ऑपरेटर द्वारा रिकॉर्ड किया गया वीडियो हमारे पास भी पहुंचा है. इस वीडियो में जो चेहरा सामने दिखाई दे रहा है वह शिफ्ट इंचार्ज है. उनसे बात करने वाला व्यक्ति खुद को गेवरा में ही ऑपरेटर के पद पर सेवारत होना बता रहा है. ऑपरेटर शिफ्ट इंचार्ज से पूछ रहा है कि आपके यहां एक श्रमिक नेता यस सी मंसूरी ड्यूटी पर आता है अथवा नहीं. शिफ्ट इंचार्ज कहता है कि नेता है इसलिए वह ड्यूटी नहीं करता.
वीडियो रिकॉर्ड करने वाले ऑपरेटर ने कहां है कि एससी मंसूरी मेरी कमी खोज रहे हैं तो मैं उनको छोडूंगा नहीं. मजदूर का कथन है कि वह लगभग डेढ़ वर्ष तक उनकी यूनियन में था तब मैं ठीक था अब यूनियन छोड़ दिया हूं तो मेरी शिकायत की जा रही है.
इस मामले में जब यस सी मंसूरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस आरोप को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि वे अपनी ड्यूटी के साथ ही मजदूरों के हित में काम कर रहे हैं. श्री मंसूरी का कथन है कि अभी मेंबर शिप का काम चल रहा है इसलिए उन्हें व उनकी यूनियन को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गई है.
गौरतलब है कि एसईसीएल के श्रमिक नेताओं पर ड्यूटी न करने का आरोप अक्सर लगा करता है. यह आरोप श्रमिक नेताओं के ही बीच यदा-कदा होने वाले विवाद के कारण खुलकर लगाया जाता है.कई बार प्रबंधन से भी इनकी टकरा हट हुई है. श्रमिक नेताओं का तर्क होता है कि वह अपनी ड्यूटी के साथ ही मजदूरों के हित में भी काम करते हैं. इसके लिए उन्हें अक्सर प्रबंधन के साथ चर्चा करने के लिए ड्यूटी छोड़कर जाना पड़ता है. कई बार ड्यूटी स्थल से दूर तक भी मजदूरों की मदद करने के लिए श्रमिक नेता जाते हैं.