सोमवार, 30 जनवरी को माघ मास की गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन है। सोमवार को ये तिथि होने से इस दिन देवी दुर्गा के साथ ही शिव जी और चंद्र ग्रह की पूजा का शुभ योग बन रहा है। इस योग में की गई पूजा से कुंडली के ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन छोटी कन्याओं को खाना खिलाने की परंपरा है। छोटी कन्याओं के देवी का रूप माना जाता है, इस वजह देवी पूजा के साथ ही छोटी कन्याओं की पूजा की जाती है, उन्हें खाना खिलाया जाता है और दान-दक्षिणा दी जाती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, वैसे तो गुप्त नवरात्रि में देवी भक्तों के द्वारा गुप्त रूप से कठिन साधनाएं की जाती हैं, लेकिन सामान्य भक्त भी देवी दुर्गा की सामान्य पूजा इन दिनों में कर सकता है। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन यानी सोमवार को देवी दुर्गा के साथ ही शिव जी की पूजा करें। सोमवार का कारक ग्रह चंद्र है और इस वजह से सोमवार को चंद्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा करनी चाहिए।
सोमवार को ऐसे कर सकते हैं पूजा-पाठ
इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
गणेश पूजन के बाद देवी दुर्गा और शिव जी की पूजा शुरू करें। देवी दुर्गा की प्रतिमा और शिवलिंग का जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक करें और फिर जल चढ़ाएं। चंदन, हार-फूल से श्रृंगार करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल शिव जी को चढ़ाएं। देवी दुर्गा को लाल चुनरी और लाल फूल के साथ सुहाग का सामान जैसे कुमकुम, सिंदूर, हल्दी, मेंहदी, चूड़ियां आदि चीजें अर्पित करें।
श्रृंगार करने के बाद भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। शिव जी के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जप करें। देवी दुर्गा के मंत्र दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जप करें। पूजा के अंत में भगवान से क्षमा याचना करें और फिर भक्तों को प्रसाद बाटें, खुद भी लें।
ऐसे कर सकते हैं चंद्र की पूजा
चंद्र देव की प्रतिमा की या शिव जी के मस्तक पर विराजित चंद्र की पूजा की जा सकती है। चंद्र देव का दूध से अभिषेक करना चाहिए। सफेद फूलों से श्रृंगार करें। सफेद वस्त्र अर्पित करें। चंद्र देव को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। चंद्र के मंद्र सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें।