KORBA: नाम का प्रतिबंध, बिक रहे प्लास्टिक के झंडे, स्वाधीनता दिवस से पहले झंडे और प्रतीकों की मांग बढ़ी

Acn18.com/पर्यावरण और सम्मान को ध्यान में रखते हुए हुए सरकार ने राष्ट्रीय पर्व पर प्लास्टिक के तिरंगे झंडे को बनाने, बेचने और उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है । इन सबके बावजूद नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बाजार में अभी सही प्लास्टिक के झंडे आसानी से उपलब्ध हैं और इनकी बिक्री हो रही है। पूछताछ करने पर दुकानदार गोलमोल जवाब देकर बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

भारत के राष्ट्रीय पर्व स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा ध्वज फहराने के नियम है। इसके लिए सरकार ने झंडा संहिता बनाई है जिसके अंतर्गत ध्वजारोहण और अवरोहण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। सार्वजनिक कार्यक्रमों में कपड़े के ध्वज का उपयोग करने का नियम है। पिछले कुछ वर्षों में व्यवसायिक आधार पर प्लास्टिक के झंडे बाजार में उतार दिए गए जो बाद में अपमानित होते रहे और इससे देश के प्रति बहुत कुछ सोचने वाले लोगों की भावनाएं आहत हुई। इसलिए प्लास्टिक के तिरंगा झंडा का उपयोग करना प्रतिबंधित कर दिया गया इसके बावजूद अभी भी बाजार में नजारे देखने को मिल रहे हैं। घंटाघर चौराहे पर एक व्यवसाई से इस बारे में बातचीत की गई तो सीधा जवाब देने के बजाय कहां गया कि कुछ संस्थाओं से आर्डर मिले हैं। राष्ट्रीय पर्व को लेकर बाजार में झंडे और प्रतीकों की मांग बनी हुई है।

एक अन्य कारोबारी से से भी हमारी मुलाकात हुई जो स्वाधीनता दिवस पर संबंधित सामग्री की बिक्री से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पर्व के लिहाज से कई प्रकार के स्टीकर और झंडे उपलब्ध है। अब झंडो में लकड़ी अथवा प्लास्टिक की डंडी का उपयोग हो रहा है। जिस प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है उसका मामला अलग है।

प्लास्टिक के तिरंगा झंडे के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश पहले से ही जारी हो चुके हैं और इसके अंतर्गत काम करना है लेकिन आसपास की स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि सरकारी फरमान केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गए हैं। राष्ट्रीय पर्व से पहले और निश्चित दिवस तक देशभक्ति के गीतों पर झूमने के साथ अपने सरोकार दिखाने वाले लोगों को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी की भी लापरवाही से देश की अस्मिता से किसी प्रकार का खिलवाड़ न होने पाए।