acn18.com कोरबा/ कोरबा के विकास में अपनी जमीन देने वाले भू-विस्थापित आज भी अपने वाजिब हक की लड़ाई लड़ रहे है। देश की महारत्न कंपनी एनटीपीसी को अपनी जमीन देने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिल तब भू-विस्थापितों ने आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बन लिया है और 16 अगस्त से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। भू-विस्थापितों का कहना है,कि वे पिछले 43 सालों से नौकरी की आस में दर दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन प्रबंधन ने उनके जख्मों पर मरहम लगाने के बजाए हमेशा नमक रगड़ा।
कोरबा में उद्योगों और भू-विस्थापितों के बीच की लड़ाइ दशकों पुरानी है। अपनी जमीन देकर उद्योगों को खड़ा करने वाले भू-विस्थापित आज भी अपना वाजिब हक पाने की जंग लड़ रहे है। एसईसीएल से लेकर सीएसईबी और एनटीपीसी आज भी अपने भू-विस्थातिपसें को नौकरी देने में आना कानी कर रहे है। तस्वीर में नजर आ रहे यह लोग एनटीपीसी के भू-विस्थापित है जिनकी प्रबंधन से लड़ाई का इतिहास अभी का नहीं बल्की पिछले 43 वर्षों पुराना है। एनटीपीसी ने 300 से अधिक परिवारों की जमीन जब ली थी,तब उन्हें आश्वास्त किया था,कि शैक्षणिक योग्याता के आधार पर हर परिवार से एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी लेकिन समय बदलने के साथ ही प्रबंधन अपना वादा भूल गया। प्रबंधन से कई बार नौकरी के संबंध में चर्चा की गई लेकिन हाथ केवल नीराशा ही लगी यही वजह है,कि अब ये आंदोलन पर उतारु हो गए है। 16 अगस्त से ये प्रबंधन के खिलाफ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे है। तानसेन चैक पर इन द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा और जब तक नौकरी नहीं मिलती ये अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।
भू-विस्थापितों ने एक स्वर में कह दिया है,कि वे प्रबंधन के खिलाफ दमदारी से प्रदर्शन करेंगे और हर हाल में अपना हक लेकर रहेंगे। उनकी मांगो को लेकर जल्द गंभीरता नहीं दिखाई गई तो आंदोलन उग्र रुप भी ले सकता है।