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कोरबा:अस्पताल बना राजनीति का अखाड़ा ,ग्रामीणों को उठानी पड़ रही दुश्वारी ,प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

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acn18.com कोरबा/ कोरबा विकासखंड के ग्राम पंचायत कोरकोमा में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजनीति का अखाड़ा बन गया है। अस्पताल में पदस्थ स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी के कारण ग्रामीणों को परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल चौतरफा समस्याओं से घिरा हुआ है लेकिन उनका समाधान करने के बजाए स्वास्थ्यकर्मी केवल अपना स्वार्थ देख रहे है।

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जिन उद्देश्यों के तहत ग्राम पंचायत कोरकोमा में स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था उन उद्देश्यों की पूर्ती आज तक नहीं हो सकी है। अस्पताल में पदस्थ कर्मचारियों में मतभेद होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां की स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरह से लचर हो गई है जिसके समाधान को लेकर किसी तरह का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरकोमा में मॉर्चूएरी नहीं है जिसके कारण चिकित्सक को पर्दा डालकर पीएम की औपचारिकता पूर्ण करनी पड़ती है। स्वास्थ्य केंद्र में न तो स्वीपर है, न ही ड्रेसर और न ही फार्मासीस्ट जिसके कारण अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है। स्वास्थ्य केंद्र में पसरी अव्यवस्थओं की जानकारी अधिकारियों को है लेकिन वे भी व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर किसी तरह का ध्यान नहीं दे रहे।

अस्पताल में पसरी अव्यवस्थाओं को लेकर हमने छिपे कैमरे के माध्यम से जब बाबू से जवाब तलब किया तब आवेश में आकर उसने अपने ही उच्चाधिकारियों को मां की गाली दे डाली।

पीएम जैसी जटिल प्रक्रिया एक व्यवस्थित कमरे में होती है लेकिन यहां परिसर के भीतर केवल पर्दा डालकर 30 से 34 की संख्या में पोस्टमार्टम हो चुके है जबकि हर माह 20 से अधिक एमएलसी के केस आते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाना ज्यादा कठिन नहीं है,कि स्वास्थ्य कर्मियों को कितनी परेशानियों का समाना करना पड़ता है। गांव के ग्रामीण बताते हैं,कि गर्भवति महिलाओं के लिए यहां 20 बिस्तरों का अलब से वार्ड भी बना है लेकिन वह भी दो नर्सों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है जिससे अस्पताल में सुविधा ना के बराबर है। ग्रामीण बताते हैं,कि पूर्व में यहां ग्रामीण स्वास्थ्य सहायक के रुप में भावना राठिया नामक एक महिला थी जिसके द्वारा भी काफी मनामनी की जाती थी जिसके कारण अस्पताल अस्पताल ना होकर एक राजनीति का अखाड़ा बन गया है जिसमें केवल ग्रामीण पिस रहे है।

पीएचसी कोरकोमा बाबू राहुल दत्ता के कारण सबसे अधिक विवादों में रहता है। यह न तो किसी का कहा मानता है और न ही अपनी जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन करता है। इसका अस्पताल में आने का समय भी निर्धारित नहीं है। मनमौजी आचरण के कारण अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है। हमने जब इनसे इनका पक्ष जानना चाहा तो कैमरे के सामने आने से बचते रहे हालांकि छिपे कैमरे में यह खुद को पाक साफ जरुर देते नजर आए।

पीएचसी कोरकोमा शुरु से ही विवादों में घिरा हुआ है। पिछले साल बड़ी मात्रा में दवा कचरे के ढेर में फेंकने के कारण यह सुर्खियों में आया था और अब मनामनी और असुविधाओं को लेकर, जिससे ग्रामीणों को उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। प्रशासन को इस दिशा में कड़े कदम उठाने की जरुरत है ताकी अस्पताल में पसरी राजनीति दूर हो सके।

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