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चंद्रयान 3 से जुड़ी ISRO सांइटिस्ट वलारमथी का निधन:रॉकेट लॉन्च के समय उलटी गिनती गिनी थी, भारत के पहले रडार सैटेलाइट की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं

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Acn18.com/रॉकेट लॉन्चिग के समय उलटी गिनती गिनने वाली इसरो साइंटिस्ट वलारमथी का शनिवार को हार्ट अटैक आने से निधन हो गया। उन्होंने काउंट डाउन में आखिरी बार अपनी आवाज चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के समय दी थी। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।

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इसरो पीआरओ के मुताबिक, वलारमथी सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में रेंज ऑपरेशंस प्रोग्राम कार्यालय का हिस्सा थीं। वह भारत के पहले रडार इमेजिंग सैटेलाइट RISAT-1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रह चुकी थीं।

वलारमथी 1984 में इसरो में शामिल हुईं थीं
तमिलनाडु के अरियालुर में रहने वाली वलारमथी का जन्म 31 जुलाई, 1959 को हुआ था। उन्होंने कोयंबटूर के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया।

साल 1984 में वह इसरो में शामिल हुईं और कई अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित रडार इमेजिंग सैटेलाइट (आरआईएस) और देश के दूसरे ऐसे उपग्रह RISAT-1 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं।

2015 में, वह अब्दुल कलाम पुरस्कार पाने वाली फर्स्ट पर्सन बनीं। 2015 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सम्मान में तमिलनाडु सरकार द्वारा इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी।

चंद्रयान 3 का प्रज्ञान रोवर स्लीप मोड में, अब 22 सितंबर को इसके जागने की उम्मीद

वलारमथी ने जिस चंद्रयान 3 की रॉकेट लॉन्चिंग करवाई थी। उसने अपना मिशन पूरा कर लिया है। इसरो ने शनिवार (02 सितंबर) को बताया कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। इसमें लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS अब बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है।

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

​​​​​​​इसरो के वैज्ञानिकों ने आज यानी रविवार 3 सितंबर को आदित्य L1 स्पेसक्रॉफ्ट की ऑर्बिट बढ़ाई। अब ये पृथ्वी की 245 Km x 22459 Km की कक्षा में आ गया है। यानी उसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 245 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 22459 किमी है।

इसरो ने बताया कि अब 5 सितंबर को दोपहर करीब 3 बजे एक बार फिर आदित्य की कक्षा बढ़ाई जाएगी। इसके लिए कुछ देर इंजन फायर करने पड़ेंगे। आदित्य को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था।

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