देश की राजनीति में बिहार प्राय: अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दर्ज करता रहा है। कहिए तो राजनीति की दशा-दिशा तय करता रहा है। चार दशक बाद फिर बिहार इतिहास दोहराने की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गठबंधन बदलने के बाद प्रदेश की राजनीति में प्रयोग-उपयोग का दौर तेजी से परवान चढ़ने लगा है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election, 2024) की तैयारियों को लेकर बिछड़े साथियों को जोड़ने की पहल तेज हो गई है। वर्तमान राजनीतिक परिदृध्य पर गौर करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ 1977 की तरह संपूर्ण विपक्ष को एकजुट करने की जुगत में जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash narayan) के अनुयायियों के बीच गोलबंदी तेज गई है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहले पवन वर्मा (Pawan Verma) और फिर प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) से मुलाकात को देखा जा रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (RLJP) के नेता चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने भी सूरत में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की है।