आज (27 फरवरी) से होलाष्टक शुरू हो रहा है, ये होलिका दहन के बाद यानी 8 मार्च को खत्म होगा। होलाष्टक के दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कर्म नहीं किए जाते हैं। इन दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही ग्रंथों का पाठ करने की भी परंपरा है। इसके साथ ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य भी जरूर करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक होलाष्टक के दिनों में भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। होली के संबंध में भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यपु से जुड़ी मान्यता प्रचलित है। पुराने समय में हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए कई तरह की यातनाएं दी थीं। प्रहलाद विष्णु भक्त था, इस वजह से उसे यातनाओं की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई थी। विष्णु जी ने प्रहलाद को हर परेशानी से बचाया था।
विष्णु जी कथाओं का करें पाठ
होलाष्टक में विष्णु पुराण और भागवत कथा जैसे ग्रंथों का पाठ करना चाहिए या इनका पाठ सुनना चाहिए। विष्णु पुराण में विष्णु जी की महिमा बताई गई है, जबकि भागवत कथा में विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण की कथा है। इन कथाओं का पाठ करें और इनमें बताए गए संदेशों को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। इन ग्रंथों का मूल संदेश यह है कि हमें धर्म का पालन करते हुए कर्म करना चाहिए और फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। धर्म-कर्म करने वाले लोगों को भगवान की कृपा से सभी सुख प्राप्त होते हैं। जो लोग अधर्म करते हैं, उन्हें भगवान की कृपा नहीं मिलती है।
विष्णु जी और श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप करें
होलाष्टक के दिनों में विष्णु जी और श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप और ध्यान करना चाहिए। विष्णु मंत्र – ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, श्रीकृष्ण मंत्र – कृं कृष्णाय नम:। इन दिनों में किए गए जप और ध्यान से भक्ति बढ़ती है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
घर में बाल गोपाल हो तो उनका केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग करें। बाल गोपाल को नए पीले वस्त्र पहनाएं। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की भी पूजा करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र से श्रृंगार करें। हार-फूल चढ़ाएं। चंदन का तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। रोज शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें।