फाल्गुन महीने की पूर्णिमा 6 और 7 मार्च को है। लेकिन सोमवार की पूरी रात पूर्णिमा रहेगी और मंगलवार को दिनभर। इसलिए होलिका दहन 6 और 7 की दरमियानी रात होगा। वहीं, स्नान-दान, व्रत-पूजा के लिए 7 का पूरा दिन शुभ रहेगा। इस तिथि को धर्मग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस दिन किए गए दान और उपवास से अक्षय फल मिलता है।
फाल्गुन पूर्णिमा: वसंतोत्सव पर्व
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि वसंत ऋतु के दौरान आती है। इसलिए इसे वसंतोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन होलिका दहन किया जाता है। कुछ पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन समुद्र मंथन से लक्ष्मीजी प्रकट हुई थीं। इसलिए देश की कुछ जगहों पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है।
चंद्रमा को अर्घ्य
पूर्णिमा पर बन रहे सितारों के शुभ संयोग में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व रहेगा। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने से रोग नाश होता है। इस त्योहार पर पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, मौली, अष्टगंध, फूल और नैवेद्य चढ़ाकर चंद्रमा को धूप-दीप दर्शन करवाकर आरती करनी चाहिए। इस तरह से चंद्र पूजा करने से बीमारियां दूर होने लगती हैं।
ज्योतिष में पूर्णिमा का महत्व
सूर्य से चन्द्रमा का अन्तर जब 169 से 180 तक होता है, तब पूर्णिमा तिथि होती है। इसके स्वामी स्वयं चन्द्र देव ही हैं। पूर्णिमान्त काल में सूर्य और चन्द्र एकदम आमने-सामने होते हैं। यानी इन दोनों ग्रहों की स्थिति से समसप्तक योग बनता है। पूर्णिमा का विशेष नाम सौम्या है। यह पूर्णा तिथि है। यानी पूर्णिमा पर किए गए शुभ काम का पूरा फल प्राप्त होता है। ज्योतिष ग्रंथों में पूर्णिमा तिथि की दिशा वायव्य बताई गई है।